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Friday, December 28, 2018

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (अंतिम भाग –15)


(अंतिम भाग – 15)
 रुद्रप्रयाग की यात्रा एवं घर वापसी 

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आपने अभी तक “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश) , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्राआओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1"), आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –9) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2"आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3")आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –12) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -1आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –13) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -2 एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –14) माणा गाँव की यात्रा में पढ़ा कि कैसे ब्लॉग एवं अन्य माध्यम से जानकारी जुटा कर मैंने यात्रा से संबंधित एक बारह दिवसीय कार्यक्रम की रूप-रेखा बनाई. जब विश्वसनीय वेब-साईट से पता चला कि सड़क एवं मौसम यात्रा के लिए अनुकूल है तब जाकर हमलोग ने अपनी यात्रा प्रारंभ की. “हर की पौड़ी”, ऋषिकेश, यमनोत्री, बड़कोट, उत्तरकाशी, गंगोत्री यात्रा एवं सिद्ध गुरु बाबा चौरंगीनाथ के मंदिर दर्शन एवं ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम दर्शन के साथ ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ जी का रुद्राभिषेक करने के बाद श्री केदारनाथ जी की शीतकालीन निवास स्थल के नैनाभिराम दृश्य एवं विशाल बद्री के दिव्य दर्शन को ह्रदय में सहेज कर माणा गाँव की अधूरी यात्रा कर हमलोग रुद्रप्रयाग के लिए निकल पड़े. 
अब आगे ....

माणा गाँव से रुद्रप्रयाग संगम की दूरी लगभग 160 कि.मी. है. हमलोग करीब शाम को साढ़े पाँच बजे संगम पर पहुँचे. संगम के जल को स्पर्श या स्नान के लिए सीढ़ियों से उतरना पड़ता है. बीच में शिव जी का एक छोटा सा मंदिर है और एक गंगा माँ की पीतल की सुन्दर प्रतिमा है. सीढ़ी के बायीं तरफ श्री बद्रीनाथ से बहती आई नदी, श्वेत रंग की अलकनंदा एवं हरित रंग लिए हुए दायीं तरफ केदारनाथ से बहती आई नदी मंदाकिनी, का संगम के पास सीढ़ी समाप्त हो जाती है. आस-पास का दृश्य मनोहारी है. रुद्रप्रयाग आने का मुख्य कारण इसी संगम को देखना था क्योंकि इसी संगम के बाद दोनों नदियाँ गंगा नाम से ऋषिकेश के तरफ बहना शुरू करती हैं. समयाभाव के कारण वहाँ स्नान तो नहीं कर पाए परन्तु हमलोग ने संगम के जल से शरीर पर छींटा मार कर संतोष किए और हरिद्वार के लिए रवाना हो गए. श्रीनगर पहुँचने में ही रात के आठ बज गए. अँधेरे में पहाड़ी रास्तों पर गाड़ी चलाना खतरे से खाली नहीं होता है अतः रास्ते में श्रीनगर के एक होटल में रुके. सुबह नास्ता कर हरिद्वार के लिए प्रस्थान किए. हरिद्वार में शाम की आरती में सम्मलित हुए और रात्रि विश्राम के लिए होटल पहुँचे. सुबह हमलोग होटल के पास प्रेम नगर घाट पर पहुँचे. बहुत शांत माहौल एवं परिवार के साथ स्नान करने के लिए बहुत ही सुंदर, सुरक्षित एवं साफ़ सुथरा घाट है. कुछ स्थानीय लोगों के अलावा हमारा ही परिवार वहाँ था अतः सभी ने खुलकर एक घंटा नदी में स्नान करने का आनंद उठाया. उसके बाद दोपहर का भोजन कर कपूरथला के लिए रवाना हो गए. सरहिंद शहर के पास राजपुरा हवेली में खाना खा कर रात में हमलोग घर पहुँच गए और हमलोगों की छोटा चार धाम यात्रा समाप्त हुई.
इस यात्रा से संबंधित कुछ तथ्य :
1. हमलोगों को इस यात्रा को पूरी करने में ग्यारह रात और ग्यारह दिन लगे.
2. कार से लगभग 2050 कि.मी. की यात्रा गूगल मैप के सहारे तय की.
3. पहनने के लिए गर्म कपड़े आवश्य रखें. सभी होटलों में कम्बलों की प्रयाप्त व्यवस्था रहती है.
4. सामान्य होटलों का डबल बेड किराया हरिद्वार को छोड़ कर 500 से 1000 रु. तक थी.
5. हेलिकॉप्टर का किराया छोड़कर पाँच बड़े एवं तीन छोटे व्यक्ति (दो परिवार एवं एक डीजल कार)  का लगभग 60,000 रु. खर्च आया.
6. फर्स्ट एड एवं जरूरी दवा साथ अवश्य रखें.
7. पूर्व नियोजित रूट मैप एवं समय का पालन अवश्य करें. शाम को सात बजे के पहले रुकने के स्थल पर अवश्य पहुँचे.
8. किसी भी परिस्थिति में घबराएँ नहीं विवेक एवं धौर्य से काम लें.
9. प्रति व्यक्ति एक रनिंग शू पहाड़ो पर चलने के लिए और एक चप्पल रख लें .
10. मॉइस्चराइजर क्रीम, कोल्ड क्रीम,सनस्क्रीन लोशन जिसकी spf कम से कम 24 हो एवं रोजाना में प्रयोग होने वाले वास्तु का एक किट बना लें.
11. घर पर RO water पीते हैं तो यात्रा में भी बंद बोतल का ही पानी पियें.
12. कार में पानी का बोतल, ड्राई फ्रूट्स एवं स्नैक्स रखें. 
13. मोबाइल के लिए पॉवर बैंक रखें.
14. नगद खर्च जरूरत पड़ने पर ही करें. जहाँ संभव हो एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करें.
15. स्वच्छता एवं पर्यावरण का ख्याल रखें. 

इस यात्रा के दौरान नजारों का लुत्फ़ आप नीचे दिए गए चित्रों से लें :






















भाग -1  पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व

भाग -2 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व

भाग -3 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)

भाग -4 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा

भाग -5 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्रा

भाग -6 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन

भाग -7 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा)

भाग -8 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1 

भाग -9 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –9) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2

भाग -10 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3

भाग -11 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा

भाग -12 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –12) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -1

भाग -13 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –13) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -2

भाग -14 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –14) माणा गाँव की यात्रा


©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"

Wednesday, December 26, 2018

FACE OF COMMON MAN - 12



A MAN SPENDING HIS LEISURE TIME AT Trimbakeshwar, Maharashtra, India,

-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"

Friday, December 21, 2018

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –14)


(भाग – 14)
 माणा गाँव की यात्रा


आपने अभी तक “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश) , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्राआओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1"), आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –9) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2"आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3")आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –12) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -1 एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –13) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -2 में पढ़ा कि कैसे ब्लॉग एवं अन्य माध्यम से जानकारी जुटा कर मैंने यात्रा से संबंधित एक बारह दिवसीय कार्यक्रम की रूप-रेखा बनाई. जब विश्वसनीय वेब-साईट से पता चला कि सड़क एवं मौसम यात्रा के लिए अनुकूल है तब जाकर हमलोग ने अपनी यात्रा प्रारंभ की. “हर की पौड़ी”, ऋषिकेश, यमनोत्री, बड़कोट, उत्तरकाशी, गंगोत्री यात्रा एवं सिद्ध गुरु बाबा चौरंगीनाथ के मंदिर दर्शन एवं ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम दर्शन के के साथ ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ जी का रुद्राभिषेक करने के बाद श्री केदारनाथ जी की शीतकालीन निवास स्थल के नैनाभिराम दृश्य एवं विशाल बद्री के दिव्य दर्शन को ह्रदय में सहेज कर माणा गाँव के लिए निकल पड़े. 
अब आगे ....

श्री गुरुदेव, माता-पिता एवं परम पिता परमेश्वर की कृपा से श्री बद्रीनाथ धाम आकर, हमलोगों का छोटा चार धाम यात्रा तो पूर्ण हो गया. बच्चे इस लंबी यात्रा से थकान महसूस कर रहे थे. लेकिन जब उन्हें पता चला कि अब माणा गाँव के बाद घर वापस जाना है तो वे ख़ुशी-ख़ुशी माणा गाँव के लिए चल पड़े. तिब्बत सीमा के पास भारत का आखरी गाँव माणा है जो श्री बद्रीनाथ से 3 कि.मी. की दूरी पर है. जो श्री बद्रीनाथ जाए और माणा गाँव न जाए ऐसा सामान्यतः नहीं होता है तो हमलोग भी निकल पड़े माणा गाँव की ओर. हमलोग करीब सुबह 11 बजे माणा गाँव पहुँचे. गाँव के मुख्य द्वार से आगे कोई भी मोटर कार नहीं जा रही थी. अतः मुख्य द्वार से 250 मी. पहले तक पर्यटकों की गाड़ी सड़क के दोनों तरफ लगी हुई थी. पार्किंग की कोई उचित प्रबंध नहीं था अतः हमलोग किसी तरह अपनी गाड़ी को सड़क के खाई वाले किनारे पर लगा कर आगे बढ़े तो हमें एक स्वागत द्वार मिला जिसके सबसे ऊपर ॐ जय घन्याल लिखा था. घंटाकर्ण ही घन्याल हैं जो बद्रीनाथ क्षेत्र के एक प्रमुख सह देवता (क्षेत्रपाल) हैं.

स्वागत द्वार से आगे हलकी चढ़ाई थी. आगे बढ़ने पर गणेश गुफा मिला. महाभारत को लिपिबद्ध करने वाले श्री गणेश जी का दर्शन हुआ. कहा जाता है कि उन्होंने वेद व्यास जी के कहने पर इसी स्थान पर महाभारत को लिपिबद्ध किया था. 





आगे 300 मी. की दूरी पर व्यास गुफा था, परन्तु गणेश गुफा से खड़ी चढ़ाई थी. इसलिए सभी बच्चों ने वहाँ जाने से इनकार कर दिया. मैं, सभी को वहाँ जाने के लिए मानसिक दबाव बनाने लगा तब मेरी पत्नी जी ने कहा अगर आपको वहाँ जाने की तीव्र इच्छा है तो आप जाएँ. हमलोग आपका इंतज़ार यही पर करेंगे. मैं भी जोश में आकार आगे बढ़ने लगा परन्तु सबका साथ नहीं मिलने से मेरा भी मनोबल टूट सा गया और सभी वापस अपने वाहन की तरफ चल पड़े. गणेश गुफा से कुछ ही दूरी पर व्यास गुफा, सरस्वती धाम, भीम पुल, केशव प्रयाग ( यहाँ सरस्वती एवं अलकनंदा का संगम होता है), माता मूर्ति और वसुधरा जलप्रपात है. उपरोक्त दर्शनीय स्थलों को नहीं देख पाने का गम लेकर अपनी कार पर सवार होकर रुद्रप्रयाग के लिए रवाना हो गए.         
 

स्थानीय महिला 
शेष  28-12-2018 के  अंक में .................................

भाग -1  पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व

भाग -2 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व


भाग -3 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :


आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)

भाग -4 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा

भाग -5 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्रा

भाग -6 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन

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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा)

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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1 

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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3

भाग -11 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा

भाग -12 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –12) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -1

भाग -13 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –13) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -2


©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
  
       

Wednesday, December 19, 2018

MEME SERIES - 22


Biweekly Edition (पाक्षिक संस्करण) 20 Dec'2018 to 01 Jan'2018

मीम (MEME)

"यह एक सैद्धांतिक इकाई है जो सांस्कृतिक विचारों, प्रतीकों या मान्यताओं आदि को लेखन, भाषण, रिवाजों या अन्य किसी अनुकरण योग्य विधा के माध्यम से एक मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क में पहँचाने का काम करती है। "मीम" शब्द प्राचीन यूनानी शब्द μίμημα; मीमेमा का संक्षिप्त रूप है जिसका अर्थ हिन्दी में नकल करना या नकल उतारना होता है। इस शब्द को गढ़ने और पहली बार प्रयोग करने का श्रेय ब्रिटिश विकासवादी जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिंस को जाता है जिन्होने 1976 में अपनी पुस्तक "द सेल्फिश जीन" (यह स्वार्थी जीन) में इसका प्रयोग किया था। इस शब्द को जीन शब्द को आधार बना कर गढ़ा गया था और इस शब्द को एक अवधारणा के रूप में प्रयोग कर उन्होने विचारों और सांस्कृतिक घटनाओं के प्रसार को विकासवादी सिद्धांतों के जरिए समझाने की कोशिश की थी। पुस्तक में मीम के उदाहरण के रूप में गीत, वाक्यांश, फैशन और मेहराब निर्माण की प्रौद्योगिकी इत्यादि शामिल है।"- विकिपीडिया से साभार.

MEME SERIES - 22

By looking at this picture you might be having certain reaction in your mind, through this express your reaction as the title or the  caption. The selected title or caption of few people will be published in the next MEME SERIES POST.

इस तस्वीर को देख कर आपके मन में अवश्य ही किसी भी प्रकार के प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई होगी, तो उसी को शीर्षक(TITLE) या अनुशीर्षक(CAPTION)के रूप में व्यक्त करें। चुने हुए शीर्षक(TITLE) या अनुशीर्षक(CAPTION)को अगले MEME SERIES POST में प्रकाशित की जाएगी।

 प्रगति ?

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The next edition will be published on  JANUARY 02, 2018. If you have similar type of picture on your blog, leave a link of your post in my comments section. I will link your posts on my blog in the next edition. Thank you very much dear friends for all your valuable captions for MEME SERIES-21 . Your participation and thoughts are deeply appreciated by me. Some of the best captions are listed below.

अगला संस्करण 02 जनवरी, 2018 को प्रकाशित किया जाएगा। यदि आपके ब्लॉग पर इस तरह की कोई तस्वीर है, तो अपने पोस्ट का लिंक मेरी टिप्पणी अनुभाग में लिख दें। मैं अगले संस्करण में अपने ब्लॉग पर आपका पोस्ट लिंक कर दूंगा। मेरे प्रिय मित्रों, आपके सभी बहुमूल्य शीर्षक(TITLE) या अनुशीर्षक(CAPTION) के लिए धन्यवाद। MEME SERIES-21 के पोस्ट पर आपकी भागीदारी और विचारों ने मुझे बहुत प्रभावित किया, उनमें से कुछ बेहतरीन कैप्शन नीचे उल्लेखित हैं। 


MEME SERIES-21 के बेहतरीन कैप्शन


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बेघर लाचार बैठे प्रभु के द्वार,बस भिक्षा ही जीवन आधार....................Abhilasha Chauhan

बस यही भारत नहीं है
कहीं किसी के भाषणों में 
इसका जिक्र ही नहीं है 
बस यही भारत नहीं है ....................................................  ..............सुशील कुमार जोशी (SKJoshi)

तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा..................................................Kusum Kothari

Oh my God! का असर तो कुछ हफ्ते ही था! हम तो फिर पहले की तरह भूखे बैठे हैं , भोले बाबा फिर दुग्ध स्नान में मस्त हैं ! ........................................................................Ravindra Kumar Karnani



Friday, December 14, 2018

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –13)


(भाग – 13)
 बद्रीनाथ धाम की यात्रा -2
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आपने अभी तक “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश) , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्राआओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1"), आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –9) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2"आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3")आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा" एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –12) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -1" में पढ़ा कि कैसे ब्लॉग एवं अन्य माध्यम से जानकारी जुटा कर मैंने यात्रा से संबंधित एक बारह दिवसीय कार्यक्रम की रूप-रेखा बनाई. जब विश्वसनीय वेब-साईट से पता चला कि सड़क एवं मौसम यात्रा के लिए अनुकूल है तब जाकर हमलोग ने अपनी यात्रा प्रारंभ की. “हर की पौड़ी”, ऋषिकेश, यमनोत्री, बड़कोट, उत्तरकाशी, गंगोत्री यात्रा एवं सिद्ध गुरु बाबा चौरंगीनाथ के मंदिर दर्शन एवं ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम दर्शन के के साथ ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ जी का रुद्राभिषेक करने के बाद श्री केदारनाथ जी की शीतकालीन निवास स्थल के नैनाभिराम दृश्य एवं विशाल बद्री के दर्शन कर रात में श्री बद्रीनाथ के एक गेस्ट हाउस में रुके.
अब आगे ....

श्री बद्रीनाथ जी का दर्शन सुबह 7 से 8 बजे तक आम जनता के लिए सुलभ है. अन्य सभी तीर्थ स्थल दर्शन से पहले वाली रात को हमलोग जल्दी खाना खा कर सो जाते थे इसलिए सुबह उठने में कभी दिक्कत नहीं हुई. परन्तु कल रात सोने में करीब रात के 11 बजे गए थे अतः देर से उठने के कारण हमलोग सपरिवार सुबह 7:30 बजे मंदिर पहुँच कर दर्शन हेतु कतार में खड़े हुए. सिंह द्वार में प्रवेश करने तक बहुत अव्यवस्था थी परन्तु सभा मंडप के बाद कतार सीधी हो गई और सीधे हमलोग गर्भगृह के प्रवेश द्वार से अंदर गए तो दाहिने तरफ श्री बद्री-विशाल की प्रतिमा देख कर हम सभी अभिभूत हो गए. वहाँ के सेवादार भक्तों को श्री बद्रीनाथ जी का दर्शन के लिए चंद सेकेंड ही देते हैं. हमलोग को भी दर्शन के लिए चंद सेकेंड मिले उसके बाद सेवादारों द्वारा आगे बढ़ने के लिए धकेल दिए गए, परन्तु गर्भगृह बहुत बड़ा था. मूर्ति और दर्शन मंडप के बीच लगभग 12 फीट की जगह थी, तो हमलोग थोड़ा पीछे खड़े हो गए और जी भर कर श्री बद्री-विशाल जी का दर्शन किए. गर्भगृह से बाहर निकलने पर मैंने देखा कि निकास द्वार पर भी भक्तों की कतार लगी थी. बाद में पता चला की यह कतार बुजुर्गों के लिए है, यह अलग बात थी कि अनुचित ढ़ंग से कुछ भक्तों का प्रवेश इस द्वार से हो रहा था, जिसके कारण एक बुजुर्ग वहाँ के सेवादार से उलझ पड़े. खैर ! जब हम गर्भगृह के निकास द्वार से निकले तो सामने श्री महालक्ष्मी मंदिर दिखा. वहाँ महिला भक्तों की भीड़ जमा थी. वहाँ भीड़ होने का मुख्य कारण उस मंदिर के पुरोहित द्वारा रूपए लेकर श्री महालक्ष्मी जी के भेँट किए गए साड़ीयों को देना था. महिला भक्तों को मिली साड़ी की किस्म पुरोहित के हाथ में पड़े रूपए के आधार पर निर्धारित था. मेरी भी पत्नी आशीर्वाद स्वरुप साड़ी को लेने में सफल हुई. हमलोग गर्भगृह का परिकर्मा करने हेतु आगे बढ़े तो अगले भवन में भी विभिन्न प्रकार के मंदिर में भेँट किए गए कपड़े जैसे- धोती, तौलिया, साड़ी, पैन्ट-शर्ट आदि कार्यकर्ताओं द्वारा बेचे जा रहे थे. इसके बाद परिकर्मा कर हमलोग श्री बद्रिनाथ जी का आशीर्वाद एवं प्रसाद ले कर बाहर आ गए. बाहर कल-कल बहती अलकनंदा का सौदर्य अनुपम है. नारद कुंड एवं तप्त कुंड होते हुए अलकनंदा जी की भी एक परिक्रमा हमलोगों ने किया फिर नास्ता कर भारत की आखरी गाँव माणा के लिए रवाना हुए.     

श्री बद्रीनाथ मंदिर के आस पास का प्राकृतिक नज़ारा अद्वितीय है.  श्री बद्रीनाथ धाम को धरती का बैकुंठ भी कहते है. यह मंदिर, नर और नारायण पर्वत के गोद में बसा है जिसके पाँव स्वयं अलकनंदा नदी पखारती रहती हैं. मंदिर के सामने नर पर्वत एवं पार्श्व में नारायण पर्वत जो नीलकंठ पर्वत की चोटी के पीछे है. मंदिर की बाहरी संरचना का वास्तुकला हिन्दू मंदिर वास्तुकला से भिन्न है. मंदिर की खिड़कियाँ, प्रवेश द्वार , दीवारें की संरचना एवं उस पर किए गए चमकीले रंग-रोगन किसी बौद्ध विहार की याद दिलाती है। ऐसे भी कहा जाता है कि 8 वीं शताब्दी तक यह मंदिर बौद्ध विहार बना रहा जब आदिशंकराचार्य ने अलकनंदा नदी से श्री बद्रीनाथ जी की शालिग्राम पत्थर से बनी मूर्ति को निकाला और इसे तप्त कुंड के गर्म झरनों के पास एक गुफा में स्थापित किया। बाद में आदिशंकराचार्य ने बौद्धों को यहाँ से एक परमार शासक राजा कनक पाल की मदद से निष्कासित कर दिया और उसके बाद परमार शासक ने इस मंदिर में मूर्ति को स्थापित किया। मंदिर की वर्तमान संरचना गढ़वाल के राजाओं द्वारा बनाई गई थी। मंदिर में तीन खंड हैं - गर्भगृह, दर्शन मंडप, और सभा मंडप।गर्भगृह में सात मूर्तियाँ हैं . मुख्य मूर्ति भगवान बद्रीनाथ जी का है उनके बायें भाग में छोटी सी मूर्ति नारदजी की है। नारदजी के पृष्ठ भाग में चांदी की दिव्य मूर्ति उद्धव जी की है. नारद जी के बायें भाग मे शंख-चक्र-पद्म धारण किये, पद्मासन के स्थित नारायण भगवान के दर्शन होते हैं। भगवान नारायण के बायें भाग में बाएँ पैर के अंगूठा पर खड़े नर की मूर्ति है. भगवान बदरीनाथजी के दायें भाग में गरुड़जी की मूर्ति है और इनके दायीं तरफ श्री कुबेरजी की मूर्ति है।  

श्री बद्रीनाथ मंदिर के दक्षिणावर्ती परिक्रमा में क्रमानुसार मौजूद प्रमुख्य स्थानों की सूची:

सबसे पहले भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी की मूर्ति बद्रीनाथ मंदिर के सिंह द्वार में हैं।हनुमान जी की एक विशाल दक्षिणीमुखी मूर्ति, श्री गणपति जी की मूर्ति, दान-पर्ची कार्यालय, श्री महालक्ष्मी मंदिर, वस्त्र भण्डार, श्री शंकरचार्य जी की गद्दी, प्रसाद विक्रेता, धर्मशिला (भक्त यहां गौ दान करते हैं.)जब भगवान बद्रीनाथ और अन्य देवताओं की मूर्तियां दूध, चंदन, दही, केसर आदि के साथ रावल द्वारा नहाए जाते हैं तो गर्भगृह के पीछे जल को चरणामृत के नाम से जाना जाता है., घंटाकर्ण की मूर्ति (इनको बद्रीनाथ मंदिर के क्षेत्रपाल कहा जाता है.) और अंत में यज्ञ कुंड (भगवान बद्रीनाथ के लिए यज्ञ यहां किया जाता है.)

भगवान् बद्री जी का शीतकालीन निवास जोशी मठ में होता है. स्थानीय भाषा में बद्री का अर्थ बेर है. कहा जाता है कि जब भगवान् विष्णु तपस्या करने के लिए यहाँ आए तो लक्ष्मी जी उनको प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए बेर का पेड़ बन गई तभी से भगवान् विष्णु को बद्रीनाथ कहा जाने लगा. 

शेष  21-12-2018 के  अंक में .................................

इस यात्रा के दौरान नजारों का लुत्फ़ आप नीचे दिए गए चित्रों से लें :


















भाग -1  पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व

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“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व


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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)

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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा

भाग -5 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्रा

भाग -6 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन

भाग -7 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा)

भाग -8 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1 

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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –9) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2

भाग -10 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3

भाग -11 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा

भाग -12 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –12) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -1


©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"