(भाग – 6)
उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन
आपने अभी तक “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”, “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3) हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)” , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4) लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा” एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5) यमनोत्री धाम की यात्रा” में पढ़ा कि कैसे ब्लॉग एवं अन्य माध्यम से जानकारी जुटा कर मैंने यात्रा से संबंधित एक बारह दिवसीय कार्यक्रम की रूप-रेखा बनाई. जब विश्वसनीय वेब-साईट से पता चला कि सड़क एवं मौसम यात्रा के लिए अनुकूल है तब जाकर हमलोग ने अपनी यात्रा प्रारंभ की. “हर की पौड़ी”, ऋषिकेश और यमनोत्री की मनोरम दृश्य को दिल में सहेज कर रात्रि विश्राम करने के लिए बाड़कोट के एक होटल में रुके.
अब आगे ....
हमलोग यमनोत्री यात्रा कर बहुत थक गए थे इसलिए बड़कोट से चार कि.मी. पहले ही एक मनोरम स्थान दिखा तो हम वहाँ के एक होटल करण पैलेस में रुक गए. होटल सामान्य था परन्तु अत्यधिक थकान होने के कारण हमलोग रात का खाना खा कर सो गए. सुबह लगभग 9 बजे सब की नींद खुली. गर्म पानी से स्नान कर जब हमलोगों ने बाहर का नज़ारा देखा तो हमलोग सम्मोहित हो कर वहाँ के वादियों में खो गए. साफ़-सुथरी सड़क, सामने कल-कल बहती नदी, नाना-प्रकार के पेड़-पक्षी, नीला आकाश, ठंडी हवा, दूर छोटे-छोटे मकान और सुबह-सुबह धरती से सोना पैदा करने में लगा एक किसान, इन सब को अपलक निहारते हुए रोम-रोम रोमांचित हो रहा था और मन को असीम शांति मिल रही थी. वहाँ के अद्भूत नजारों का वर्णन करने में मैं खुद को असक्षम महसूस कर रहा हूँ इस लिए आप वहाँ के नजारों को मेरे कैमरे की नज़र से देखें जो नीचे दिए गए हैं .
यात्रा का अगला पड़ाव उत्तरकाशी था जो बड़कोट से 80 कि.मी. की दूरी पर स्थित है और इस दूरी को तय करने में लगभग तीन घंटे लगने थे. उत्तरकाशी में श्री विश्वनाथ मंदिर दर्शन के अलावा हमारा कोई अन्य कार्यक्रम नहीं था इसलिए हमलोगों ने आज आराम कर के दोपहर तीन बजे खाना खा कर उत्तरकाशी के लिए प्रस्थान करने का निर्णय लिया और नियत समय पर हमारी यात्रा प्रारम्भ हुई. हम उत्तरकाशी में अभी प्रवेश ही किए थे तो वहाँ एक होटल सहज विला इन् मिला. वहाँ छः बेड वाला कमरा 2800 रु. में मिल रहा था जो इस यात्रा का सबसे महँगा कमरे का किराया था इसलिए हमलोग वहाँ के मुख्य बाज़ार में जाकर अन्य होटलों का पता किए तो किराया लगभग पहले वाले होटल जैसा ही था परन्तु सुविधा एवं सजावट वैसी नहीं थी. सभी बच्चों को होटल सहज विला इन् ज्यादा पसंद आ रहा था अतः हमलोग उस होटल को दो रात के लिए आरक्षित कर लिए. जब हमलोग मुख्य बाज़ार में होटल का पता कर रहे थे तभी वहाँ जोशियाड़ा बैराज झील में ‘कैफे ऑन द वेव्स’ का नज़ारा देख बच्चे वहाँ जाने को मचल रहे थे. हमलोग समान को होटल के कमरे में रख कर करीब शाम 7:15 बजे वहाँ के लिए रवाना हुए. झील के सौन्दर्य से सभी प्रभावित हुए और कुछ समय वहाँ बिताने के बाद हमलोगों ने श्री विश्वनाथ मंदिर का दर्शन किया. जहाँ शिव हों और शक्ति ना हो ऐसा सामान्यतः होता नहीं है. तो यह मंदिर भी इससे अपवाद नहीं है. तो शिव और शक्ति का दर्शन कर हमलोग होटल रात को 9:30 बजे पहुँचे. खाना खाने के बाद अपने अगले पड़ाव गंगोत्री की अलस-भोर में यात्रा करने हेतु हमसब बड़े तो सो गए परन्तु बच्चे देर रात तक इंटरनेट एवं टी.वी. में व्यस्त रहे.
बाद में पता चला कि उत्तरकाशी से गंगोत्री की तरफ लगभग पांच किमी के बाद सस्ते होटल मिलते हैं.
खैर! हिमालय की गोद में बसा उत्तरकाशी का प्राचीन नाम बाड़ाहाट है और महाभारत काल का वारणावत ग्राम भी इसी का नाम है. पाण्डवों को जलाने के उद्देश्य से लाक्षागृह का निर्माण भी यहीं पर हुआ था. माना जाता है कि परशुराम ने 21 बार हैहयवंशी क्षत्रियों को समूल नष्ट करने के बाद यहीं पर कठोर तप से अपने क्रोध को शांत कर सौम्य स्वभाव प्राप्त किया था इसलिए उत्तरकाशी को सौम्यकाशी भी कहते हैं. उत्तरकाशी का एक छोर अस्सी और भागीरथी संगम हैं तो दूसरा छोर वरुणा और भागीरथी संगम हैं.
भाग -1 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”
भाग -2 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”
भाग -3 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3) हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)”
भाग -4 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4) लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा”
भाग -5 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5) यमनोत्री धाम की यात्रा”
बेटे द्वारा गाड़ी की सफाई |
यात्रा का अगला पड़ाव उत्तरकाशी था जो बड़कोट से 80 कि.मी. की दूरी पर स्थित है और इस दूरी को तय करने में लगभग तीन घंटे लगने थे. उत्तरकाशी में श्री विश्वनाथ मंदिर दर्शन के अलावा हमारा कोई अन्य कार्यक्रम नहीं था इसलिए हमलोगों ने आज आराम कर के दोपहर तीन बजे खाना खा कर उत्तरकाशी के लिए प्रस्थान करने का निर्णय लिया और नियत समय पर हमारी यात्रा प्रारम्भ हुई. हम उत्तरकाशी में अभी प्रवेश ही किए थे तो वहाँ एक होटल सहज विला इन् मिला. वहाँ छः बेड वाला कमरा 2800 रु. में मिल रहा था जो इस यात्रा का सबसे महँगा कमरे का किराया था इसलिए हमलोग वहाँ के मुख्य बाज़ार में जाकर अन्य होटलों का पता किए तो किराया लगभग पहले वाले होटल जैसा ही था परन्तु सुविधा एवं सजावट वैसी नहीं थी. सभी बच्चों को होटल सहज विला इन् ज्यादा पसंद आ रहा था अतः हमलोग उस होटल को दो रात के लिए आरक्षित कर लिए. जब हमलोग मुख्य बाज़ार में होटल का पता कर रहे थे तभी वहाँ जोशियाड़ा बैराज झील में ‘कैफे ऑन द वेव्स’ का नज़ारा देख बच्चे वहाँ जाने को मचल रहे थे. हमलोग समान को होटल के कमरे में रख कर करीब शाम 7:15 बजे वहाँ के लिए रवाना हुए. झील के सौन्दर्य से सभी प्रभावित हुए और कुछ समय वहाँ बिताने के बाद हमलोगों ने श्री विश्वनाथ मंदिर का दर्शन किया. जहाँ शिव हों और शक्ति ना हो ऐसा सामान्यतः होता नहीं है. तो यह मंदिर भी इससे अपवाद नहीं है. तो शिव और शक्ति का दर्शन कर हमलोग होटल रात को 9:30 बजे पहुँचे. खाना खाने के बाद अपने अगले पड़ाव गंगोत्री की अलस-भोर में यात्रा करने हेतु हमसब बड़े तो सो गए परन्तु बच्चे देर रात तक इंटरनेट एवं टी.वी. में व्यस्त रहे.
बाद में पता चला कि उत्तरकाशी से गंगोत्री की तरफ लगभग पांच किमी के बाद सस्ते होटल मिलते हैं.
खैर! हिमालय की गोद में बसा उत्तरकाशी का प्राचीन नाम बाड़ाहाट है और महाभारत काल का वारणावत ग्राम भी इसी का नाम है. पाण्डवों को जलाने के उद्देश्य से लाक्षागृह का निर्माण भी यहीं पर हुआ था. माना जाता है कि परशुराम ने 21 बार हैहयवंशी क्षत्रियों को समूल नष्ट करने के बाद यहीं पर कठोर तप से अपने क्रोध को शांत कर सौम्य स्वभाव प्राप्त किया था इसलिए उत्तरकाशी को सौम्यकाशी भी कहते हैं. उत्तरकाशी का एक छोर अस्सी और भागीरथी संगम हैं तो दूसरा छोर वरुणा और भागीरथी संगम हैं.
आइए आप लोग यहाँ की झलकियाँ तस्वीरों के माध्यम से देखें :
शेष 02-11-2018 के अंक में .................................
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”
भाग -3 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
भाग -4 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4) लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा”
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एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5) यमनोत्री धाम की यात्रा”
© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'