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Friday, April 28, 2017

फोटोग्राफी : पक्षी 6 (Photography : Bird 6 )

Photography: (dated 12 04 2017 06: 40 AM )

Place : Kapurthala, Punjab, India

Bird Name -Red-vented bulbul

The red-vented bulbul (Pycnonotus cafer) is a member of the bulbul family of passerinesThe red-vented bulbul is easily identified by its short crest giving the head a squarish appearance. The body is dark brown with a scaly pattern while the head is darker or black. The rump is white while the vent is red. The black tail is tipped in white. 

 अन्य भाषा में नाम :-
Assamese: ফেচুলুকা,Bengali: বাংলা বুলবুল, লালপুচ্ছ বুলবুলি, কালচে বুলবুলি, Malayalam : നാട്ടുബുൾബുൾ, Marathi: लालबुड्या बुलबुल, फेसा, कुंचीवाला बुलबुल, पेचडुक, Nepali : जुरेली, Punjabi : ਲਾਲ ਪੂੰਝੀ ਬੁਲਬੁਲ, Tamil: சின்னான், Sanskrit: कृष्णचूड गोवत्सक









©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही" 













Wednesday, April 26, 2017

ख्वाहिश


ख्वाहिश

चंद साँसों का ये सफ़र, जो मुझको मिला,
किसी को न मिले ये सफ़र , जो मुझको मिला।

गुनगुनाने की चाह अपने घर में और,
रोने को एक कोना भी न मुझको मिला ।

कई   हसीं सपनें   देखे   मैंने भी  और ,
सच करने का आसरा न, सपनों को मिला।

मातम फैला रहता  मेरे घर में  औ',
महफ़िल-ए-रंग  जमाता, मैं सब को मिला।

सुकून ढूंढ़ने  लगा बेगानों में और,
खुल कर हँसने का मौका ना, मुझको मिला।

रूह भटक रही , अपने ही घर में  "राही ",
मुर्दा हूँ,  सुपुर्द-ए-खाक न ,मुझको मिला।


©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही" 





Friday, April 21, 2017

फोटोग्राफी : पक्षी 5 (Photography : Bird 5 )

Photography: (dated 10 04 2017 07: 20 AM )

Place : Kapurthala, Punjab, India

Bird Name -Green bee-eater

The green bee-eater (Merops orientalis) (sometimes little green bee-eater) is a near passerine bird in the bee-eater family. Like other bee-eaters, this species is a richly coloured, slender bird. 

पतरिंगा (हरियल), बी-ईटर फैमिली का पासरिन पक्षी है। अन्य  बी-ईटर वालों की तरह, यह प्रजाति अनेक रंगों का, पतला पक्षी है।

अन्य भाषा में नाम :-
Marathi:    पाणपोपट, वेडा राघू , Kannada:ನೀಲಿಬಾಲದ ಕಳ್ಳಿಪೀರ (Nilibalada बी ईटर) Malayalam: (Big  velittatta), Marathi: निळ्या शेपटीचा पाणपोपट, Nepali: नीलपुच्छ्रे मुरलीचरा , Tamil:நீலவால் பஞ்சுருட்டான் (blue  pancuruttan ) 

आइए इस सुन्दर चिड़िया की तस्वीरें देखें :-






©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही" 





Wednesday, April 19, 2017

फोटोग्राफी : पक्षी 3 और 4 (Photography : Bird 3 and 4 )

Photography: (dated 29 03 2017 08: 00 AM )

Place : Kapurthala, Punjab, India




Blue-and-white bellied flycatcher

Single Bird as seen in the picture is 
blue-and-white flycatcher (Cyanoptila cyanomelana) is a migratory songbird in the Old World flycatcher family Muscicapidae. The species is also known as the Japanese flycatcher. It breeds in JapanKorea, and in parts of north eastern China and far eastern Russia. It winters in South East Asia, especially in Vietnam.

नीला और सफेद पेट वाला  फ्लाईकैचर 

तस्वीर में दिख रही एक चिड़िया :
नीला और सफेद पेट वाला फ्लाईकैचर (साइनोपिटला साइनोमेलाना) ओल्ड वर्ल्ड फ्लाईकैचर परिवार मस्किकैपैडे का एक प्रवासी गाना गाने वाली चिड़िया है। इन प्रजातियों को जापानी फ्लाईकैचर के रूप में भी जाना जाता है यह जापान, कोरिया और उत्तर पूर्वी चीन के कुछ हिस्सों और पूर्वी रूस में पाया जाता है। यह दक्षिण पूर्व एशिया में विशेष रूप से वियतनाम में सर्दियों में रहता है। 

(अन्य भाषा में नाम का स्रोत - http://birds.thenatureweb.net/):-


Malayalam: കാട്ടുനീലി, Marathi: पांढर्‍या पोटाचा नर्तक, पांढर्‍या पोटाचा निळा माशिमार



Brahminy starling

The names of two birds of the same in the picture are "Brahmani Mayna". 

The Brahmani Manya bird is a member of the Starling family, usually seen in open spaces on the plains of South Asia or in small herds. It is usually seen in pairs or small flocks. Brahmini mayna has a loose black crest on the head. Its beak is yellow with blue base.

एक समान की दो चिड़ियों का नाम "ब्राह्मणी मैना"
ब्राह्मणी मैना पक्षी, स्टार्लिंग परिवार का सदस्य है यह आम तौर पर दक्षिण एशिया के मैदानों पर खुली जगहों में जोड़े या छोटे झुंडों में दिखते हैं।
ब्राह्मणी मैना के सिर पर काले रंग का  एक ढीली शिखा होती है। इसकी चोंच,  नीला आधार के साथ पीले रंग का होता है।


(अन्य भाषा में नाम का स्रोत - http://birds.thenatureweb.net/):-


Bengali: বামুনি কাঠশালিক, Bhojpuri: पूहई, ब्राह्मणी मैना, Hindi: कालासिर मैना, चन्ना हुडी, Kannada: ಕರಿತಲೆ ಕಬ್ಬಕ್ಕಿ, Malayalam: കരിന്തലച്ചിക്കാളി, Marathi: ब्राह्मणी मैना, भांगपाडी मैना, पोपई मैना, Nepali: जुरे सारौँ, जुरे रुपी, Punjabi: ਬ੍ਰਾਹਮਣੀ ਮੈਨਾ, Sanskrit: शङ्करा

पता नहीं क्यूँ, "ब्राह्मणी मैना" की तस्वीर को देख कर पंजाब के मशहूर चित्रकार मनजीत बावा की पेंटिंग्स याद आ गई।

©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"








Friday, April 14, 2017

कछुआ








कछुआ
  
नहीं! मैं केकड़ा नहीं,
मैं कछुआ हूँ । 

जब कोई मेरी पीठ थपथपाता है,
तो खुद को समेट लेता हूँ,
अपने खोल के अंदर,
नहीं होता आत्ममुग्ध,
और नहीं डसता उसे,
जो पीठ थपथपाते हैं मेरी,
केकड़े की तरह । 

नहीं दौड़ सकता मैं,
इस गलाकाट प्रतिस्पर्धा में,
नहीं काट सकता किसी को
केकड़े की तरह । 

हाँ! मैं नहीं करता प्रतिस्पर्धा अपनों से,
नहीं खींचता टांगें अपनों की,
केकड़े की तरह । 

मुझे सब कुछ पाने की जल्दी नहीं,
मुझे विश्वास है अपनी लगन पर
मंजिल अवश्य मिलेगी,
मंजिल पाने के लिए,
नहीं खा सकता अपनों को,
केकड़े की तरह। 

नहीं! मैं केकड़ा नहीं,
मैं कछुआ हूँ ।   

©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"



Wednesday, April 12, 2017

ख़िताबत

ख़िताबत 


बस ! मुझे भी तुम इंसान समझो  तब तो बात हो,
ख़ुद की  ख़िताबतों  पर अमल करो तब तो बात हो, 

फूलों भरी राह हो तो सभी सफ़र आसान हो,
काँटो भरी राह पर सफ़र करो तब तो बात हो ।

मैख़ाने में देख मुझे काफ़िर समझते हैं वे,
यहाँ आकर तुम मुसलमान बनो तब तो बात हो ।







मेरी रोज़ी-रोटी चलती है, ख़ुद को बेच कर,
मुझे ख़रीद, ख़ुदा की बात करो तब तो बात हो ।

मेरी अस्मत लुटती है सरेआम बाज़ार में,  
अपने घर में मुझको पनाह दो तब तो बात हो ।

मेरे दर्द को तुम ना समझ पाओगे उम्र भर,
मेरी जगह पर तुम ख़ुद को रखो  तब तो बात हो।

ना देख हिक़ारत की नज़रों से मुझे ऐ “राही”
मुझ में बसे ख़ुदा को तुम देखो , तब तो बात हो ।

ख़िताबत = 1. संबोधित करना 2. भाषण देना।
मुसलमान  =  मुसल्लम ईमान वाला। 

©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"







Friday, April 7, 2017

फोटोग्राफी : पक्षी 2 (Photography : Bird 2 )

Photography: (dated 29 03 2017 08: 00  AM )

Place : Kapurthala, Punjab, India

Oriental magpie-robin


मैं कोई पक्षी विज्ञानी नहीं हूँ, परंतु पता नहीं क्यूँ मैं जब भी कोई पक्षी देखता हूँ तो उसकी तस्वीर लेने को मचल उठता हूँ।  इसी क्रम में आइए इस छोटे एवं प्यारे पक्षी से मिलते है:-

Oriental Magpie-Robin यह Old World flycatcher वर्ग का पक्षी है।  इसे हिंदी में दहियर, काली सुई चिड़िया ; बांग्ला में दोयेल  मराठी में डोमिंगो  भी कहते हैं। ओरिएंटल मैग्पी-रोबिन बांग्लादेश का राष्ट्रीय पक्षी है।

I am not an ornithologist, but I do not know why whenever I see a bird, I am ready to take a photograph. In this sequence, let's meet this little and cute bird: -

Oriental Magpie-Robin This  bird is belongs to an Old World flycatcher class. Oriental Magpie-Robin is the national bird of Bangladesh.

 (अन्य भाषा में नाम का स्रोत - http://birds.thenatureweb.net/):-

Assamese: দহিকতৰা, Bengali: দোয়েল পাখি, Gujarati: દૈયડ, Hindi: दहियरकाली सुई चिड़िया, Kannada: ಮಡಿವಾಳ, Malayalam: മണ്ണാത്തിപ്പുള്ള്, Marathi: दयाळडोमिंगा, Nepali: धोबिनी चरा, Punjabi: ਧਿਆਲ ਚਿੜੀ, Sanskrit: श्रीवददहियककालकण्ठ कलविङ्क, Tamil: வண்ணாத்திக்குருவி 











Wednesday, April 5, 2017

वाक्यांश – संन्यास


वाक्यांश – संन्यास 

तबादला होने के कारण इस शहर में आना पड़ा और जॉगर’स पार्क में मेरा पहला दिन था। मैं कान में ईअर फोन लगाकर धीरे-धीरे दौड़ रहा था, तभी किसी ने पीछे से कंधा थपथपाया। मैं जब पीछे मुड़ा तो एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति को मुस्कुराते हुए देखा।

उसने हाथ बढ़ाते हुए कहा – “ मैं रवि कान्त शास्त्री, ऐसे दोस्त मुझे देव बुलाते है।”
मैंने भी हाथ मिलाते हुए कहा – “हाए देव साहब ! मैं श्रीवास्तव।”
देव साहब ने कहा – “नहीं, नहीं श्रीवास्तव ! आप मुझे सिर्फ देव ही बुलाएं। उम्मीद करता हूँ कि आप जॉगर’स पार्क में नियमित आयेंगे और इस तरह मेरे दोस्तों के फ़ेहरिस्त में शुमार हो जाएँगे।”

इस संक्षिप्त परिचय से मेरा उनसे मुलाक़ात का सिलसिला चल पड़ा और उस मुलाक़ात के दौरान जीवन के हरेक पहलू पर उनसे और उनके दोस्तों से चर्चा होती रहती। दोस्ती इतनी बढ़ गई थी कि जाड़ो के दिनों में सुबह के अंधेरो में भी मेरी पदचाप सुनकर वे मुझे पुकार लेते थे। 

देव के बारे में मैं कह सकता हूँ कि 65 वर्ष के उम्र में भी वे अपने पहनावे पर विशेष ध्यान देते हैं। वे बहुत ही जहीन, हंसमुख एवं मिलनसार व्यक्तित्व के मालिक भी हैं। 

इधर कई दिनों से उनसे मुलाक़ात नहीं हो पा रही थी, तो एक दिन उनके मित्र से मैंने पूछा – “आज कल देव नहीं दिख रहें हैं !”

तो उनके मित्र ने कहा – “ क्या बताएं ? देव अपना घर-बार छोड़ कर नागपुर के किसी आश्रम में रहने लगे हैं।


मैं आज तक नहीं समझ पाया कि इतना ज़िंदा-दिल, सकारात्मक सोच वाला इंसान और भरपूर आनंद के साथ जीवन जीने वाला व्यक्ति, इस उम्र में संन्यास कैसे ले सकता है ? यह घटना मेरे लिए सदमे से कम नहीं थी। 

चित्र http://www.mumbai77.com/ से साभार। 
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"








Sunday, April 2, 2017

विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस


राकेश कुमार श्रीवास्तव
ऑटिज़्म पीड़ितों  के प्रति हमारी भी ज़िम्मेदारी है

विश्व ऑटिज्म (स्वलीनता) जागरूकता दिवस: 2017 का  प्रसंग : "स्वायत्तता और आत्मनिर्णय की ओर"


¨ इस विषय को 18 दिसंबर 2007 में संयुक्त राष्ट्र के महासभा द्वारा  पारित किया गया।
¨ संयुक्त  राष्ट्र के महासभा  द्वारा विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के बारे में जागरूकता
प्रसारित करने के लिए प्रतिवर्ष 2 अप्रैल को मनाया जाता है। 
¨ यह 2008  से शुरू हुआ और हर साल मनाया जाता है।
¨ भारत में 1 करोड़ 80 लाख  लोग इस रोग से ग्रसित हैं।
¨ प्रति 68 पर 1 व्यक्ति इस रोग से ग्रसित पाए जाते हैं।                                 
¨ विकलांगता प्रमाण पत्र दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल से बनवाया जा सकता है।


संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अनुमान के अनुसार ऑटिज्म से पीड़ित अस्सी प्रतिशत से अधिक व्यक्ति बेरोजगार है। ऑटिज्म मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला रोग है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। हिन्दी में इसे 'आत्मविमोह', ‘स्वलीनता’ और 'स्वपरायणता' भी कहते हैं। ऑटिज़्म पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता है  लेकिन इससे पीड़ित व्यक्ति को सीखा कर उसका जीवन सुगम बनाया जा सकता है
1980 तक ऑटिज़्म, जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण भारत में अनसुना सा था एवं भारत में ऑटिज़्म का निदान दुर्लभ ही था । अब जैसे-जैसे जागरुक्ता बढ़ रही है वैसे-वैसे इस रोग से पीड़ित बच्चों की पहचान हो रही है । छोटी उम्र से ही उनके माता-पिता उनकी विशेष ख्याल रखते है और समाज में इस रोग के प्रति  जागरूकता के कारण बच्चों को एक रोगी समझते है ना की पागल . ऑटिज्म से पीड़ित होने वाले प्रमुख कारणों की जानकारी अभी प्राप्त नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह रोग आनुवंशिक या पर्यावरणीय कारकों के साथ जुड़ा हो सकता है।
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में दूसरों से बातचीत न कर पाने अथवा बाहरी दुनिया से अनजान अपनी ही दुनिया में खोए रहने की समस्या पायी जाती है। उनका व्यवहार भी असमान्य होते हैं। ये बच्चे आसानी से नाराज़ हो जाते हैं, तथा इन्हें स्कूल में सीखने-समझने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह सुखद समाचार है कि ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्ति बहुत बारीकी से हर जानकारी पर ध्यान देता है तथा ऐसे बच्चे कुछ गतिविधियों में दूसरों की तुलना में बेहतर होते है। तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चे में इस रोग के लक्षण दिखने लगते हैं ।
इससे प्रभावित बच्चा या व्यक्ति :
सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना,
निरर्थक प्रतिक्रिया करता है, जैसे हाथ हिलाना, सिर घुमाना या शरीर को झकझोरना आदि,
किसी से नज़र मिलाने से कतराता हैं,
आवाजों पर ध्यान नही देता तथा कभी-कभी बधिर प्रतीत होता है,
बच्चे बोलने से कुछ समय बाद अचानक ही बोलना बंद कर देता है, तथा अजीब आवाजें निकालता है,
किसी के भी आने या जाने से परेशान नही होता,
किसी भी प्रकार के शारीरिक तकलीफ के प्रति कोई क्रिया नहीं करता ना ही उससे बचने की कोशिश करता है, कोशिश करने पर भी किसी से बात नहीं करता है। वो अपनी ही किसी दुनिया में खोया रहता है, एक ही वस्तु या कार्य में उलझा रहता है,
अन्य बच्चो की तरह काल्पनिक खेल नहीं खेल पाता, वह खेलने की बजाए खिलौनों को सूंघते या चाटतें हैं,
ये बदलाव को बर्दाशत नहीं कर पाते व अपने क्रियाकलापों को नियमानुसार ही करना चाहतें है,
ये या तो बहुत चंचल या बहुत सुस्त रहते हैं,
इन बच्चो में अधिकतर कुछ विशेष बातें होती हैं जैसे किसी एक इन्द्री (जैसे, श्रवण शक्ति) अति तीव्र होना। इस रोग से प्रभावित 30 % बच्चे स्वयं को चोट पहँचा सकते हैं।
ऑटिज़्म को शीघ्र पहचानना और मनोरोग विशेषज्ञ से तुरंत परामर्श ही इसका सबसे पहला इलाज है। ऑटिज़्म के लक्ष्ण दिखने पर मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, या प्रशिक्षित स्पेशल एजुकेटर (विशेष अध्यापक) से सम्पर्क करें। ऑटिज़्म एक आजीवन रहने वाली अवस्था है जिसके पूर्ण उपचार के लिए कोई दवा की खोज ज़ारी है, अतः इसके इलाज के लिए यहाँ-वहाँ न भटकें व बिना समय गवाएं इसके बारे में जानकारी प्राप्त करें।
ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चे को निम्नलिखित तरीकों से मदद दी जा सकती है ।
इन्द्रियों की अति-तीव्रता को कम करने के लिए : -
शरीर पर दबाव बनाने के लिए बड़ी गेंद का इस्तेमाल करें,
सुनने की अतिशक्ति को कम करने के लिए कान पर थोड़ी देर के लिए हल्की मालिश करें ।
खेल व्यवहार के लिए : -
खेल-खेल में नए शब्दों का प्रयोग करें,
खिलौनों के साथ खेलने का सही तरीका दिखाएँ,
बारी-बारी से खेलने की आदत डालें,
धीरे-धीरे खेल में लोगो की संख्या को बढ़ते जायें।
बोल-चाल के लिए : -
छोटे-छोटे वाक्यों में बात करें,
साधारण भाषा का प्रयोग करें,
रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले शब्दो को जोड़ कर बोलना सिखांए,
पहले समझना तथा फिर बोलना सिखांए,
यदि बच्चा बोल पा रहा है तो उसे शाबाशी दें तथा बार-बार बोलने के लिए प्रेरित करें,
बच्चे को अपनी जरूरतों पर बोलने का मौका दें,
यदि बच्चा बिल्कुल बोल नही पाए तो उसे तस्वीर की तरफ़ इशारा करके अपनी जरूरतों के बारे में बोलना सिखाएं।
मेल-जोल के लिए : -
बच्चे को घर के अलावा अन्य लोगों से नियमित रूप से मिलने का मौका दें,
बच्चे को तनाव मुक्त स्थानों जैसे पार्क आदि में ले कर जायें,
अन्य लोगों को बच्चे से बात करने के लिए प्रेरित करें,
बच्चे के साथ धीरे-धीरे कम समय से बढ़ाते हुए अधिक समय के लिए नज़र मिला कर बात करने की कोशिश करे,
तथा उसके किसी भी प्रयत्न को प्रोत्साहित करना न भूलें।
व्यवहारिक परेशानियों के लिए : -
यदि बच्चा कोई एक व्यवहार बार-बार करता है तो उसे रोकने के लिए उसे कुछ ऐसी गतिविधियों में लगाएं जो उसे व्यस्त रखें ताकि वे व्यवहार दोहरा न सके,
गलत व्यवहार दोहराने पर बच्चे को कुछ ऐसा काम करवांए जो उसे पसंद नहीं है,
यदि बच्चा कुछ देर गलत व्यवहार न करे तो उसे तुरंत प्रोत्साहित करें,
प्रोत्साहन के लिए रंग-बिरंगी, चमकीली तथा ध्यान खीचनें वाली चीजों का इस्तेमाल करें ।
गुस्सा या अधिक चंचलता के लिए : -
बच्चे को अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने के लिए सही मार्ग दिखाएँ जैसे की उसे तेज व्यायाम, दौड़, तथा बाहरी खेलों में लगाएं, यदि परेशानी अधिक हो तो मनोचिकित्सक के द्वारा दी गई दवा का उपयोग भी किया जा सकता है।


संदर्भ स्रोत :


- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"