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Tuesday, July 9, 2013

जीवन का सफ़र












जीवन का सफ़र

जीवन का सफ़र है ये प्यारे,
यहाँ पल-पल बदले नज़ारें.
कभी राह में, दुःख के काँटे मिले,
कभी राह आसां हो, सुख के सहारे.

इस सफ़र में जो हिम्मत न हारे,
बदले मेहनत से,  अपने सितारें.
उसकी राहों में , सदा फूल खिलें,
जीवन में रहती हैं बहारें.

ऐसे खड़े न हो, सागर किनारे,
तू भी इसमें, गोता लगा रे.
तेरे हाथ भी, कभी मोती मिले,
ऐसी आशा तू मन में जगा रे.

राह तकते हैं घर में बेचारे,
जो रहते है तेरे सहारे.
तेरे दम पे वो, सपने हैं पाले,
उनको न छोड़ यूँ बेसहारे.

अब तू यूँ न, समय गवाँ रे,
तेरे सामने है, अवसर खडा रे,
खुद पर विश्वास करके, हिम्मत जुटा ले.

खुशियाँ खड़ी है, बाँह पसारे,

लो ये पल कर रहे इशारे,
जीत की ताज है, सर पे तुम्हारे,
खुशी से तू अपनों को, गले लगा रे,
जीवन की राह हुआ, आसां रे.

-राकेश कुमार श्रीवास्तव