(भाग – 14)
आपने अभी तक “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”, “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3) हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)” , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4) लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा” , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5) यमनोत्री धाम की यात्रा”, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन”, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1"), आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –9) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3"), आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –12) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -1 एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –13) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -2 में पढ़ा कि कैसे ब्लॉग एवं अन्य माध्यम से जानकारी जुटा कर मैंने यात्रा से संबंधित एक बारह दिवसीय कार्यक्रम की रूप-रेखा बनाई. जब विश्वसनीय वेब-साईट से पता चला कि सड़क एवं मौसम यात्रा के लिए अनुकूल है तब जाकर हमलोग ने अपनी यात्रा प्रारंभ की. “हर की पौड़ी”, ऋषिकेश, यमनोत्री, बड़कोट, उत्तरकाशी, गंगोत्री यात्रा एवं सिद्ध गुरु बाबा चौरंगीनाथ के मंदिर दर्शन एवं ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम दर्शन के के साथ ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ जी का रुद्राभिषेक करने के बाद श्री केदारनाथ जी की शीतकालीन निवास स्थल के नैनाभिराम दृश्य एवं विशाल बद्री के दिव्य दर्शन को ह्रदय में सहेज कर माणा गाँव के लिए निकल पड़े.
अब आगे ....
श्री गुरुदेव, माता-पिता एवं परम पिता परमेश्वर की कृपा से श्री बद्रीनाथ धाम आकर, हमलोगों का छोटा चार धाम यात्रा तो पूर्ण हो गया. बच्चे इस लंबी यात्रा से थकान महसूस कर रहे थे. लेकिन जब उन्हें पता चला कि अब माणा गाँव के बाद घर वापस जाना है तो वे ख़ुशी-ख़ुशी माणा गाँव के लिए चल पड़े. तिब्बत सीमा के पास भारत का आखरी गाँव माणा है जो श्री बद्रीनाथ से 3 कि.मी. की दूरी पर है. जो श्री बद्रीनाथ जाए और माणा गाँव न जाए ऐसा सामान्यतः नहीं होता है तो हमलोग भी निकल पड़े माणा गाँव की ओर. हमलोग करीब सुबह 11 बजे माणा गाँव पहुँचे. गाँव के मुख्य द्वार से आगे कोई भी मोटर कार नहीं जा रही थी. अतः मुख्य द्वार से 250 मी. पहले तक पर्यटकों की गाड़ी सड़क के दोनों तरफ लगी हुई थी. पार्किंग की कोई उचित प्रबंध नहीं था अतः हमलोग किसी तरह अपनी गाड़ी को सड़क के खाई वाले किनारे पर लगा कर आगे बढ़े तो हमें एक स्वागत द्वार मिला जिसके सबसे ऊपर ॐ जय घन्याल लिखा था. घंटाकर्ण ही घन्याल हैं जो बद्रीनाथ क्षेत्र के एक प्रमुख सह देवता (क्षेत्रपाल) हैं.
स्वागत द्वार से आगे हलकी चढ़ाई थी. आगे बढ़ने पर गणेश गुफा मिला. महाभारत को लिपिबद्ध करने वाले श्री गणेश जी का दर्शन हुआ. कहा जाता है कि उन्होंने वेद व्यास जी के कहने पर इसी स्थान पर महाभारत को लिपिबद्ध किया था.
आगे 300 मी. की दूरी पर व्यास गुफा था, परन्तु गणेश गुफा से खड़ी चढ़ाई थी. इसलिए सभी बच्चों ने वहाँ जाने से इनकार कर दिया. मैं, सभी को वहाँ जाने के लिए मानसिक दबाव बनाने लगा तब मेरी पत्नी जी ने कहा अगर आपको वहाँ जाने की तीव्र इच्छा है तो आप जाएँ. हमलोग आपका इंतज़ार यही पर करेंगे. मैं भी जोश में आकार आगे बढ़ने लगा परन्तु सबका साथ नहीं मिलने से मेरा भी मनोबल टूट सा गया और सभी वापस अपने वाहन की तरफ चल पड़े. गणेश गुफा से कुछ ही दूरी पर व्यास गुफा, सरस्वती धाम, भीम पुल, केशव प्रयाग ( यहाँ सरस्वती एवं अलकनंदा का संगम होता है), माता मूर्ति और वसुधरा जलप्रपात है. उपरोक्त दर्शनीय स्थलों को नहीं देख पाने का गम लेकर अपनी कार पर सवार होकर रुद्रप्रयाग के लिए रवाना हो गए.
शेष 28-12-2018 के अंक में .................................
अब आगे ....
श्री गुरुदेव, माता-पिता एवं परम पिता परमेश्वर की कृपा से श्री बद्रीनाथ धाम आकर, हमलोगों का छोटा चार धाम यात्रा तो पूर्ण हो गया. बच्चे इस लंबी यात्रा से थकान महसूस कर रहे थे. लेकिन जब उन्हें पता चला कि अब माणा गाँव के बाद घर वापस जाना है तो वे ख़ुशी-ख़ुशी माणा गाँव के लिए चल पड़े. तिब्बत सीमा के पास भारत का आखरी गाँव माणा है जो श्री बद्रीनाथ से 3 कि.मी. की दूरी पर है. जो श्री बद्रीनाथ जाए और माणा गाँव न जाए ऐसा सामान्यतः नहीं होता है तो हमलोग भी निकल पड़े माणा गाँव की ओर. हमलोग करीब सुबह 11 बजे माणा गाँव पहुँचे. गाँव के मुख्य द्वार से आगे कोई भी मोटर कार नहीं जा रही थी. अतः मुख्य द्वार से 250 मी. पहले तक पर्यटकों की गाड़ी सड़क के दोनों तरफ लगी हुई थी. पार्किंग की कोई उचित प्रबंध नहीं था अतः हमलोग किसी तरह अपनी गाड़ी को सड़क के खाई वाले किनारे पर लगा कर आगे बढ़े तो हमें एक स्वागत द्वार मिला जिसके सबसे ऊपर ॐ जय घन्याल लिखा था. घंटाकर्ण ही घन्याल हैं जो बद्रीनाथ क्षेत्र के एक प्रमुख सह देवता (क्षेत्रपाल) हैं.
स्वागत द्वार से आगे हलकी चढ़ाई थी. आगे बढ़ने पर गणेश गुफा मिला. महाभारत को लिपिबद्ध करने वाले श्री गणेश जी का दर्शन हुआ. कहा जाता है कि उन्होंने वेद व्यास जी के कहने पर इसी स्थान पर महाभारत को लिपिबद्ध किया था.
आगे 300 मी. की दूरी पर व्यास गुफा था, परन्तु गणेश गुफा से खड़ी चढ़ाई थी. इसलिए सभी बच्चों ने वहाँ जाने से इनकार कर दिया. मैं, सभी को वहाँ जाने के लिए मानसिक दबाव बनाने लगा तब मेरी पत्नी जी ने कहा अगर आपको वहाँ जाने की तीव्र इच्छा है तो आप जाएँ. हमलोग आपका इंतज़ार यही पर करेंगे. मैं भी जोश में आकार आगे बढ़ने लगा परन्तु सबका साथ नहीं मिलने से मेरा भी मनोबल टूट सा गया और सभी वापस अपने वाहन की तरफ चल पड़े. गणेश गुफा से कुछ ही दूरी पर व्यास गुफा, सरस्वती धाम, भीम पुल, केशव प्रयाग ( यहाँ सरस्वती एवं अलकनंदा का संगम होता है), माता मूर्ति और वसुधरा जलप्रपात है. उपरोक्त दर्शनीय स्थलों को नहीं देख पाने का गम लेकर अपनी कार पर सवार होकर रुद्रप्रयाग के लिए रवाना हो गए.
स्थानीय महिला |
भाग -1 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”
भाग -2 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”
भाग -3 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3) हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)”
भाग -4 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4) लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा”
भाग -5 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5) यमनोत्री धाम की यात्रा”
भाग -6 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन”
भाग -7 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा)
भाग -8 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1
भाग -9 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –9) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2
भाग -10 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3
भाग -11 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा
भाग -12 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –12) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -1
भाग -13 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –13) बद्रीनाथ धाम की यात्रा -2
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”
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एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5) यमनोत्री धाम की यात्रा”
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© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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