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Thursday, August 27, 2015

बैरी सावन











    बैरी सावन


सावन में सिमटी रहती हूँ,
सावन में गुमसुम रहती हूँ। 

जब से गए है परदेश सजनवा,
उनसे मिलने की सपने बुनती हूँ। 

जब बारिश आग लगाती सावन में,
आँगन में भीग, चुपचाप रो लेती हूँ। 

जब भी उनसे हो फोन पर बातें,
दिल की बातें नहीं कह पाती हूँ। 

भरा-पूरा है घर-आँगन मेरा फिर भी,
जल बिन मछली जैसी तड़प रही हूँ। 

जब से खबर मिली है उनके आने की
न चाहते हुए भी मैं थोड़ी-सी बदल गई हूँ। 

"राही”, जाने-अनजाने हो जाती है गलती मुझसे
देवर, सास और ननद की ताने सुनती रहती हूँ। 

सावन में सिमटी रहती हूँ,

सावन में गुमसुम रहती हूँ। 

- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"

Tuesday, August 11, 2015

AE DIL HAI MUSHKIL

चित्र http://aedilhaimushkil.com/   से साभार 











(FILM KE TITLE PAR GEET LIKHANE KI KOSHISH KI HAI.)

ऐ दिल है मुश्किल


ऐ दिल है मुश्किल,
वो कहती है आ गले मिल.
मगर तू धड़कता है किसी और के लिए,
जो तेरे साँसों में है शामिल।

उसकी कशिश में है फंसा तू,
कितना समझाऊ तुझे, न समझे तू,
शोख चंचल अदा उसकी गजब है,
उसे भी नहीं चाहता छोड़ना तू। 

दोनों चाहती है तुझे दिलों-जां से,
इसलिए रहते हो तुम परेशां से,
मगर दोनों को कुछ बोला, भेद राजे-दिल का खोला,
तो गिर जाओगे दोनों की नज़र से। 

 दिल है मुश्किल,
तेरा जीना हुआ बोझिल,
तुझे राहत तभी मिलेगी,
जब दूसरी न हो मेरे दिल

 दिल है मुश्किल,
जरा संभल जा  मेरे दिल,
ये कहना बड़ा आसां है,
तेरी राह में है बड़ी मुश्किल.

अब कुदरत करेगा कोई उपाय.
जो तुझे इस मुश्किल से बचाए,
तेरे हाथ अब कुछ भी नहीं है,
तो फिर क्यूँ तू यूँ ही घबड़ाए.

- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"