(भाग – 8)
श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1
आपने अभी तक “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”, “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3) हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)” , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4) लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा” , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5) यमनोत्री धाम की यात्रा”, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन” एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा) में पढ़ा कि कैसे ब्लॉग एवं अन्य माध्यम से जानकारी जुटा कर मैंने यात्रा से संबंधित एक बारह दिवसीय कार्यक्रम की रूप-रेखा बनाई. जब विश्वसनीय वेब-साईट से पता चला कि सड़क एवं मौसम यात्रा के लिए अनुकूल है तब जाकर हमलोग ने अपनी यात्रा प्रारंभ की. “हर की पौड़ी”, ऋषिकेश, यमनोत्री, बड़कोट, उत्तरकाशी एवं गंगोत्री यात्रा की खट्टे-मिठ्ठे यादों को दिल में सहेज कर अपने अगले पड़ाव श्री केदारनाथ धाम की यात्रा करने हेतु रात्रि विश्राम के लिए अपने-अपने बिस्तर पर सो गए.
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“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”
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“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”
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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3) हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)”
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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4) लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा”
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एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5) यमनोत्री धाम की यात्रा”
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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन”
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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा)
गंगोत्री से लौटने पर होटल में चोर को रंगे हाथ पकड़ने के बाद सभी की नींद उड़ गई थी. हम सभी उसी घटना पर देर रात तक चर्चा करते रहे और ईश्वर को लाख-लाख धन्यवाद दे रहे थे कि चोर ने जिस पर्स को उठाया था उसके पास ही एक छोटा पर्स था जिसमें यात्रा के दौरान खर्च के लिए रूपए थे, वो बच गए. सुबह गौरीकुंड (केदारनाथ) यात्रा प्रारंभ करने में विलंब हो गया और हमलोग ने गौरीकुंड के लिए प्रातः 7:30 अपनी यात्रा शुरू की. उत्तराखंड की सड़कों पर निजी वाहनों से यात्रा करने का अपना एक अलग आनंद है. बिना गड्ढों की सड़कें, सड़कों पर बहुत कम सवारी गाड़ी, कहीं-कहीं पर सर्पीले रास्ते, रास्तों के एक तरफ खाई, खाई के बीच में बलखाती नदी, सड़क की दूसरी तरफ ऊँचे-ऊँचे पहाड़, पहाड़ पर लम्बे-लम्बे पेड़, कभी-कभी सड़क के ठीक सामने पहाडो की चोटी, पहाड़ को आलिंगन करता बादलों के छोटे-छोटे समूह और बादलों का अनेकों बड़े-बड़े समूह पहाड़ों के सिरमौड़ को देखना एक अलौकिक अनुभव होता है. कुछ इसी प्रकार की यात्रा का आनंद हमलोग एक घंटा से ले रहे थे. तभी हमलोगों को चौरंगी खाल का बोर्ड दिखा. यह स्थल चौरंगीनाथ बाबा का मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो नाथ संप्रदाय की परंपरा के सिद्ध योगी हैं और गुरु गोरखनाथ जी की शिष्य परंपरा से जुड़े हैं। मेरे इस छोटे चार धाम यात्रा में यह स्थल सम्मलित नहीं था परन्तु जब हमलोग उत्तरकाशी से केदारनाथ जी की यात्रा के लिए निकले तो वहाँ के एक स्थानीय व्यक्ति ने इस स्थल की जानकारी दी और साथ में नचिकेता ताल के बारे में भी बताया. घने देवदार और ओक (बलूत) के जंगलों के बीच स्थित चौरंगी खाल एक रमणीय स्थल है और वहाँ जाकर सुबह-सुबह चौरंगी नाथ जी का दर्शन कर गरमा-गर्म आलू के पराठे, बच्चों के लिए मैगी का नास्ता और उसके साथ मीठे रसीले आम का स्वाद आंखों के साथ-साथ उदर को तृप्त करने में सक्षम थे. हमलोगों ने इसका भरपूर लाभ उठाया . यहाँ से नचिकेता ताल जाने के लिए लगभग 3 कि.मी. पैदल मार्ग था और इतना भोजन कर लेने के बाद पैदल चलने की इच्छा किसी की नहीं हो रही थी. अब तक की यात्रा में दूरी के लिहाज से दूसरा सबसे लम्बा रास्ता हमें तय करनी थी, अतः हमलोग वहाँ से गौरीकुण्ड के लिए रवाना हो गए.
हमलोग रास्ते में केवल दिन का खाना खाने के लिए रुके. उसके बाद जो सड़क हमलोगों को मिला वह अभी तक के रास्तों में सबसे ख़राब एवं खतरनाक रास्ता था और लगभग पाँच कि.मी. के बाद गुप्तकाशी आया तब जा कर सडकों की हालत में सुधार हुई. गुप्तकाशी से श्री केदारनाथ जी के लिए हेलिकॉप्टर सेवा शुरू हो जाती है और आसमान में हेलिकॉप्टर दिखना सामान्य बात है. आसमान में उड़ते हुए हेलिकॉप्टर को देख कर बच्चे हेलिकॉप्टर की सवारी करने के लिए जिद करने लगे थे. हमलोगों ने उनकी मांगों को अनदेखा कर आगे बढ़ने लगे. अभी कुछ ही दूर गए थे कि रास्ते के बिलकुल सटे एक हेलीपैड और उसका बुकिंग ऑफिस दिखा, तो जिज्ञासावश वहाँ उतार कर कल के लिए वन-वे केदारनाथ के लिए टिकट की उपलब्धता पता करने लगे, तो उन्होंने कहा कि जाने एवं आने के लिए टिकट तो अभी मिल जाएगा परन्तु वन-वे के लिए कल ही बता पाएंगे. वहाँ पता चला कि जिस हेलिकॉप्टर सेवा की ऑनलाइन बुकिंग हमलोग यात्रा शुरू करने से पहले कर रहे थे उससे लगभग 2000 रु. कम में आने-जाने का टिकट मिल रहा था. यहाँ एक बात का जिक्र करना जरूरी है कि इस यात्रा के दौरान किसी भी तरह की अग्रिम बुकिंग हमने नहीं की थी, इसका मुख्य कारण यह था कि छोटा चार धाम यात्रा में मौसम के कारण यात्रा में बाधा से नियत समय पर ना पहुँचना. खैर! हमलोग टिकट का पता कर आगे बढ़े और करीब 7 बजे शाम को फाटा पहुँचे. अँधेरा होने वाला था और आंशिक रूप से हमलोगों का इरादा एक तरफ की यात्रा हेलिकॉप्टर द्वारा करने का हो चुका था तो हमलोग फाटा के एक होटल में रात्रि विश्राम के लिए रुक गए.
इस यात्रा के दौरान नजारों का लुत्फ़ आप नीचे दिए गए चित्रों से लें :
शेष 16-11-2018 के अंक में .................................
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”
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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4) लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा”
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एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5) यमनोत्री धाम की यात्रा”
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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन”
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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा)
© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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