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Wednesday, November 19, 2014

लिव-इन-रिलेशनशिप



लिव-इन-रिलेशनशिप

एक ही छत के नीचे रहना, सीख लिया था हमने,
अपनी ही शर्तों पर जीना, सीख लिया था हमने।

अपने सपनों को सच करने की, हठ हमने थी ठानी,
तभी इस महानगर की क्रूर संस्कृति को, अपनाया था हमने।

पर क्या इतना आसां होता है, भावनाओं को बस में करना,
धीरे-धीरे सभी शर्तों को, मिलकर तोड़ा था हमने।

मेरे बिन तुम जी नहीं सकती, जब तुमने कहा था मुझसे,
लड़-झगड़ कर अलग हुए, सभी रिश्तों को  तोडा  था  हमने।

तुम्हारे बाद कई आई, जीवन-साथी बनने को,
प्यार-समर्पण तुम जैसा, किसी में नहीं देखा मैंने।

अब तुम साथ नहीं हो मेरे, ये जीवन सूना लगता है,
तुमको ठुकराने की, बड़ी भूल किया था मैंने।

मैं तुम्हारा अपराधी हूँ, माफ़ करो इस “राही” को,
नारी मन की व्यथा क्या होती है, अब जाना है हमने।


- © राकेश कुमार श्रीवास्तव  "राही "