सब हो जाए ईमानदार और, रहूँ मैं भ्रष्टाचारी
भ्रष्टाचार मुक्त समाज बने कैसे, यही है लाचारी
नैतिकता का हुआ पतन, सब बन बैठे है भ्रष्टाचारी
भ्रष्टाचार मुक्त समाज बने कैसे, यही है लाचारी
सब सुधर जाएँ पर मैं ही, करूँ बस अपनी ही मनमानी
भ्रष्टाचार मुक्त समाज बने कैसे, यही है लाचारी
हम सब शपथ लें और ख़त्म करे, बस अपनी ये लाचारी
अपनाएं सार्वजनिक जीवन में, हम सभी ईमानदारी
पारदर्शिता-जवाबदेही को अब अपना कर्म बनाएं
सतर्कता-जागरूकता में हो जनता की भागीदारी.
रिश्वत लेने-देने की रोग को, मिलकर हम सब मिटाएँ
सतर्कता-जागरूकता मिशन को, हम सभी सफल बनाएं.
भ्रष्टाचार मुक्त समाज बने कैसे, यही है लाचारी
नैतिकता का हुआ पतन, सब बन बैठे है भ्रष्टाचारी
भ्रष्टाचार मुक्त समाज बने कैसे, यही है लाचारी
सब सुधर जाएँ पर मैं ही, करूँ बस अपनी ही मनमानी
भ्रष्टाचार मुक्त समाज बने कैसे, यही है लाचारी
हम सब शपथ लें और ख़त्म करे, बस अपनी ये लाचारी
अपनाएं सार्वजनिक जीवन में, हम सभी ईमानदारी
पारदर्शिता-जवाबदेही को अब अपना कर्म बनाएं
सतर्कता-जागरूकता में हो जनता की भागीदारी.
रिश्वत लेने-देने की रोग को, मिलकर हम सब मिटाएँ
सतर्कता-जागरूकता मिशन को, हम सभी सफल बनाएं.
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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