हमलोगों का काफिला राम झुला का दर्शन कर आगे बढा तो ऋषिकेश में सैलानियों का हुजूम चारों तरफ मौजूद था परन्तु सब के मकसद अलग-अलग थे . कोई गर्मी से निजात पाने के लिए, तो कोई एड्वेंचर के लिए, कोई प्रकृति का नज़ारा लेने के लिए, तो कोई तीर्थ यात्रा के लिए और कुछ विदेशी सैलानी भारत को जानने के लिए. खैर! कुछ दुर भीड़-भाड़ का नज़ारा देखने को मिला. उसके बाद भीड़-भाड़ से निजात मिल गई और हमारी कार चमकते हुई चौड़ी सड़कों पर सरपट भागने लगी, लगा ही नहीं कि हम दुर्गम पहाड़ी पर चढ़ रहें हैं. वहाँ की सड़कें जी.टी. रोड जैसी लग रही थी और उस पर सुविधा यह कि टोल टैक्स भी नहीं देना पड़ रहा था.
हमलोग एक घंटे के बाद रास्ते में टी-ब्रेक लिए और दोपहर के भोजन के लिए चंबा में रुके.
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चंबा होटल के पीछे का दृश्य |
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अखरोट का पेड़ |
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हरा अखरोट |
जब हमलोग धरासू से बड़कोट के तरफ जैसे ही मुड़े थे कि मौसम अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया. अचानक काले बादलों ने पहाड़ों को चारों तरफ से घेर लिया और सामने जो सड़क दिखी वो दिल दहलाने केलिए काफी थी. सड़क के नाम पर पत्थर एवं गड्ढ़े थे. सड़क निर्माण का कार्य अभी शुरू ही हुआ था . करीब दो किलोमीटर हमलोगों की कार रेंगती हुई आगे बढ़ रही थी. खास्ता हाल सड़क एवं बूंदा-बांदी के कारण, हम सभी भगवान् से प्रार्थना कर रहे थे कि किसी तरह हमलोग बड़कोट पहुँच जाए. मुसलाधार बारिश हो रही थी परन्तु सड़कें अब अच्छी थी. कुछ देर के बाद मौसम और अधिक ऊचाई के कारण बच्चों को उल्टी और अचानक से ठंड लगने लगी. हमलोग घबड़ा गए. अभी भी बड़कोट पहुँचने में आधा घंटा लगना था, तभी अचानक एक छोटा पत्थर हमलोगों के कार के आगे गिर कर लुढ़कता हुआ गहरे खाई में चला गया. भगवान्-भगवान् करते हुए करीब 7 बजे हमलोग बड़कोट पहुँचे. जहाँ पर पहला होटल दिखा हमलोग वहीं रूक गए. जहाँ हमलोग रुके थे वहाँ से दाहिने तरफ यमनोत्री का रास्ता था और सीधा दो किलोमीटर पर बड़कोट क़स्बा था. हम सब असमंजस में थे कि बड़कोट क़स्बा चलें या यहीं पर रुकें. रास्ते में फर्स्ट-एड किट से उल्टी की दवा देने से बच्चों की स्थिति अब सामान्य लग रही थी. तब हमलोगों ने निर्णय लिया कि अभी यहीं रुकते है. बच्चे को आराम की आवश्यकता है और ख़ुदा न करे अगर तबियत ख़राब हुई तो कार से जाकर बच्चे को किसी डॉक्टर से दिखा लेंगे और अगर तबियत ज्यादा ख़राब हुई तो आगे की यात्रा नहीं करेंगे. कुछ देर आराम करने के बाद बच्चे फिर से सामान्य हुए तब जाकर सभी ने खाना खाया और बच्चे सो गए.
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बड़कोट होटल के पीछे का दृश्य |
शेष 19-10-2018 के अंक में .................................
भाग -1 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”
भाग -2 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”
भाग -3 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3) हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)”