विश्व विरासत दिवस 18 अप्रैल 2018
आपने महसूस किया होगा कि हमारे देश की ऐतिहासिक विरासत, पुरातत्व विभाग द्वारा या निजी संस्थानों द्वारा संरक्षित होता है और करोड़ों रूपए खर्च होने के बावजूद उन स्थलों पर पर्यटकों की संख्या नगण्य होती है। इसका मुख्य कारण शहर से ऐतिहासिक स्थल तक परिवहन की समस्या और खानपान एवं अन्य सुविधा के अभाव के साथ-साथ उस क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित न होना है। आप माने या न माने परन्तु इस सन्दर्भ में पंजाब राज्य अपवाद है। मैंने कई राज्यों का भ्रमण किया है परन्तु मैंने किसी राज्य की सरकारों को अपनी विरासत को संरक्षित करते हुए नहीं देखा। मैं किसी राजनैतिक पार्टी विशेष से संबंध नहीं रखता परन्तु मुझे यहाँ लिखने में हर्ष हो रहा है की पंजाब सरकार ने पंजाबी विरासत को विश्व के मानचित्र में ध्रुव-तारा जैसी चमक प्रदान किया है और इसका श्रेय पंजाब हेरिटेज एंड टुरिज़्म प्रमोशन बोर्ड को जाता है। आपको राज्य पर्यटन विकास निगम तो प्रत्येक राज्य में मिल जाएंगे परन्तु हेरिटेज एंड टुरिज़्म प्रमोशन बोर्ड केवल पंजाब में ही मिलेगा। पंजाब राज्य सरकार की प्रमुख विरासत इमारतों एवं स्थलों के नाम निम्न लिखित है :
1. अमृतसर हेरिटेज वाक,
2. विरासत-ए-खालसा
3. फ़तेह बुर्ज़
4. किला गोबिंद गढ़ , अमृतसर
5. जंग-ऐ-आज़ादी यादगार भवन (पढ़ने के लिए क्लिक करें )
6. महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली: रामतीरथ मंदिर, अमृतसर (पढ़ने के लिए क्लिक करें )आदि।
4. किला गोबिंद गढ़ , अमृतसर
5. जंग-ऐ-आज़ादी यादगार भवन (पढ़ने के लिए क्लिक करें )
6. महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली: रामतीरथ मंदिर, अमृतसर (पढ़ने के लिए क्लिक करें )आदि।
अमृतसर हेरिटेज वाक
इसी कड़ी में आज हम आपको एक किलोमीटर की अमृतसर हेरिटेज वाक, जो पुराने टाउन हॉल बिल्डिंग से लेकर स्वर्ण मंदिर( हरिमंदिर साहिब) तक के सफर के बारे में बताऊँगा तो आइए सफ़र शुरू करते है :
सबसे पहले मैं कहना चाहूँगा कि 23 ऑक्टूबर 2016 के बाद अगर आपने स्वर्ण मंदिर( हरिमंदिर साहिब) का दर्शन नहीं किया है तो वहाँ जाने का प्रोग्राम बना लें क्योंकि रोम, वेनिस या फ्लोरेंस जैसे यूरोपीय स्थलों जैसा अद्भुत अनुभव कराने के लिए अमृतसर हेरिटेज वाक, जनता के लिए 24 ऑक्टूबर 2016 को खोला गया था। आप जैसे ही पुराने टाउन हॉल बिल्डिंग को पार कर जलियांवाला बाग की तरफ जाते हैं तो यहाँ का नज़ारा आपको मुगलकालीन एवं राजस्थानी वास्तुकला की याद दिलाती है और साथ में पूरे 1-किमी की दूरी तक लैम्पपोस्ट, मूर्तियाँ, फव्वारे और विशाल मूर्तियों के सामने चौड़ी सड़क के बीचोबीच रखी बेंच आपको एक विशाल, खुले आर्ट-गैलरी जैसा लगता है। अमृतसर हेरिटेज वाक पर पैदल चलते हुए आप ऐसा मासूस करते है जैसे आप , रोम, वेनिस या फ्लोरेंस जैसे यूरोपीय स्थलों का भ्रमण कर रहें हों।
जब आप महां सिंह गेट में प्रवेश करेंगे तो सामने 1866 ई. में ब्रिटिश द्वारा बनाए गए टाउन हॉल का फव्वारा आपका स्वागत करता है और बाएं तरफ मिया जान मोहम्मद द्वारा निर्मित ख़ूबसूरत जामा मस्जिद दिखेगा और यही से आप अमृतसर हेरिटेज वाक की भव्यता आप महसूस करेंगे।
टाउन हॉल के अंदर बायीं तरफ जथेदार अकाली फूला सिंह जी की विशाल मूर्ति बड़े शान से खड़ी है।
टाउन हॉल के अंदर आप प्रवेश कर सीधा आगे बढ़ेंगे तो प्रांगण के बायीं तरफ पार्टीशन म्यूजियम दीवारों पर पोस्टर वाला की तस्वीरें आपका ध्यान बरबस अपनी तरफ खींचती हैं। इस म्यूजियम में पार्टीशन के दर्द को आप शिद्दत से महसूस कर सकते है और ऑडियो/तस्वीरों के माध्यम से उन दिनों के गतिविधियों से रु-ब-रु हो सकते है।
यहाँ से निकलने पर संसद भवन की छोटी प्रतिकृति के ऊपर डॉ. आम्बेडकर जी की मूर्ति बनी है, उसके पीछे शहीद मदन लाल ढींगरा की आदमकद मूर्ति और उसके पीछे मशहूर भरावां दा ढ़ाबा (Brother Hotel) है।
36वीं सिक्ख रेजीमेंट के 21 सैनिकों ने सारागढ़ी किला को बचाने के लिए पठानों से अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी। उन्हीं की याद में सारागढ़ी गुरुद्वारे का निर्माण हुआ। इससे आगे बढ़ने पर महाराजा रणजीत सिंह जी की विशाल प्रतिमा सड़क के केंद्र में स्थापित है।
धरम मार्केट के सामने पंजाबी विरसा को दर्शाती तीन विशाल मूर्तियों का समूह है। एक पंजाब का मशहूर नृत्य भंगड़ा , दूसरा ढ़ोल बजाता पंजाबी गबरू और तीसरा पंजाब का मशहूर नृत्य गिद्दा को दर्शाता है।
इसके बाद जलियाँवाला बाग़ के सामने एक लौ-आकार की सफ़ेद मकराना संगमरमर की 'स्मृति' नामक मूर्ति की स्थापना की गई है। इस स्मारक को 1919 नरसंहार में शहीदों के याद में बनाया गया है। । इस 16 फुट ऊंचे स्मारक पर कई स्वतंत्रता सेनानियों के चहरे को उकेरा गया है।
इस एक किलोमीटर लंबी अमृतसर हेरिटेज वाक पर सदैव चहल-पहल बनी रहती है। गुलाबी रंग से रंगी यह अमृतसर हेरिटेज वाक आपको जयपुर की भी याद दिलाती है।
जब आप महां सिंह गेट में प्रवेश करेंगे तो सामने 1866 ई. में ब्रिटिश द्वारा बनाए गए टाउन हॉल का फव्वारा आपका स्वागत करता है और बाएं तरफ मिया जान मोहम्मद द्वारा निर्मित ख़ूबसूरत जामा मस्जिद दिखेगा और यही से आप अमृतसर हेरिटेज वाक की भव्यता आप महसूस करेंगे।
टाउन हॉल के अंदर बायीं तरफ जथेदार अकाली फूला सिंह जी की विशाल मूर्ति बड़े शान से खड़ी है।
टाउन हॉल के अंदर आप प्रवेश कर सीधा आगे बढ़ेंगे तो प्रांगण के बायीं तरफ पार्टीशन म्यूजियम दीवारों पर पोस्टर वाला की तस्वीरें आपका ध्यान बरबस अपनी तरफ खींचती हैं। इस म्यूजियम में पार्टीशन के दर्द को आप शिद्दत से महसूस कर सकते है और ऑडियो/तस्वीरों के माध्यम से उन दिनों के गतिविधियों से रु-ब-रु हो सकते है।
यहाँ से निकलने पर संसद भवन की छोटी प्रतिकृति के ऊपर डॉ. आम्बेडकर जी की मूर्ति बनी है, उसके पीछे शहीद मदन लाल ढींगरा की आदमकद मूर्ति और उसके पीछे मशहूर भरावां दा ढ़ाबा (Brother Hotel) है।
36वीं सिक्ख रेजीमेंट के 21 सैनिकों ने सारागढ़ी किला को बचाने के लिए पठानों से अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी। उन्हीं की याद में सारागढ़ी गुरुद्वारे का निर्माण हुआ। इससे आगे बढ़ने पर महाराजा रणजीत सिंह जी की विशाल प्रतिमा सड़क के केंद्र में स्थापित है।
धरम मार्केट के सामने पंजाबी विरसा को दर्शाती तीन विशाल मूर्तियों का समूह है। एक पंजाब का मशहूर नृत्य भंगड़ा , दूसरा ढ़ोल बजाता पंजाबी गबरू और तीसरा पंजाब का मशहूर नृत्य गिद्दा को दर्शाता है।
इसके बाद जलियाँवाला बाग़ के सामने एक लौ-आकार की सफ़ेद मकराना संगमरमर की 'स्मृति' नामक मूर्ति की स्थापना की गई है। इस स्मारक को 1919 नरसंहार में शहीदों के याद में बनाया गया है। । इस 16 फुट ऊंचे स्मारक पर कई स्वतंत्रता सेनानियों के चहरे को उकेरा गया है।
इस एक किलोमीटर लंबी अमृतसर हेरिटेज वाक पर सदैव चहल-पहल बनी रहती है। गुलाबी रंग से रंगी यह अमृतसर हेरिटेज वाक आपको जयपुर की भी याद दिलाती है।
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मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'