दंगा
शासन करना हो जनता पर,
सजा लो राजनीति का समर.
तुम को हित साधना हो अगर,
तो, तुम सदा ही विष-वमन कर.
मतलब रखो अपने ताज़ से,
अपनी चाल पर विश्वास कर.
सभी तैयार हैं मरने को,
तुम उनमें एक उन्माद भर.
किसी के उपदेश सुनकर भी
नहीं रेंगती जूं कानों पर.
ये सभी तेरी ही सुनेंगे,
बस यूँ ही सदा, विष-वमन कर.
सभी के मसीहा तुम बन कर,
हाथ रखो तुम दुखती रग पर,
जनता को तुम मिलकर बाँटो,
धर्मों-जातियों के नाम पर.
तुम जो कह दो जां भी दे दें,
दंगा करें बस इशारे पर.
ये तो यकीं करेंगे भैया
कोरी फैली अफवाहों पर.
इस देश का भाग्य टिका है,
इन चोरों और गद्दारों पर.
कैसे देश महान बनेगा,
भारत बन्द के नारों पर.
निज स्वार्थ से ऊपर उठ कर,
जनकल्याण का कार्य करें.
आओ इनको सबक सिखाएं,
वोट देंगे हम पहचान कर.
आओ आज संकल्प उठाए,
धर्म-जाति का भेद मिटाए,
न देश का नुकसान करेंगे,
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मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'