भारत – एक पर्यटक की नज़र में
पर्यटन स्थलों की यात्रा करना किसे
पसंद नहीं है और मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि पसंदीदा पर्यटन
स्थल का चुनाव प्रत्येक व्यक्ति का अलग होता है। मूलतः पर्यटन स्थलों को हम चार भागों
में बाँट सकते है – जलीय स्थल, पर्वतीय स्थल, ऐतिहासिक
स्थल और धार्मिक स्थल। कभी-कभी इन चारों स्थलों का विभेद करना मुश्किल हो जाता है। अक्सर एक ही स्थल पर एक या एक से अधिक स्थलों का आनंद मिलता है जैसे पर्वतीय
स्थल पर झरनों का होना। मेरा सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल, जलीय
स्थल है और उसके बाद ऐतिहासिक स्थल है।
ऐसे तो पर्यटकों के लिए पर्यटन स्थलों
का विभाजन बेमानी है। उन्हें तो बस यात्रा का मौका मिलना चाहिए। स्थल कोई भी हो उसे पर्यटन
स्थल बनाने में वे देरी नहीं करते। ऐसे में बात भारत की हो तो क्या कहना। मुझे भारत
के बारे में एक कहावत याद आ रही है कि 'कोस-कोस पर बदले
पानी, चार
कोस पर वाणी' , यहाँ
कोस प्राचीन भारत में दूरी मापने की एक इकाई है ( जानकारी हेतु एक कोस = 3 कि.मी.
= लगभग 2.25 मील एवं एक योजन = चार कोस होता है )। इस अदभुत भारत का इतिहास 75000
वर्ष पुराना है एवं हमारी 5000 साल पुरानी सिंधु घाटी की सभ्यता, मेसोपोटामिया और
प्राचीन मिस्त्र के साथ साथ विश्व की शुरुआती सभ्यताओं में से एक है। जब एक कोस पर
पानी और चार कोस पर वाणी बदलती हो तो इतनी दूरी पर जायका और वहां से जुडी कहानी
पयर्टकों को आकर्षित करती हैं। भारत के विभिन्न भागों पर 1700 ई.पू. से 1950 ई. तक
लगभग 53 वंशों ने शासन किया। इसके अतिरिक्त कई विदेशी एवं अन्य छोटे-मोटे राजाओं ने राज किया। ईसा पूर्व 326 से अब तक 26 प्रमुख युद्ध भारतीय इतिहास में हुए हैं। उपरोक्त
तथ्यों को देखते हुए यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत में पर्यटकों के
लिए एक कोस पर एक नया पर्यटन स्थल ढूढ़ने में शायद ही कोई मुश्किल होगी।
ऐसे भी भारत में छः ऋतुओं का साम्राज्य
है और भिन्न-भिन्न ऋतुओं में एक ही स्थल का प्राकृतिक नज़ारा विभिन्न होता है तो आप अंदाजा
लगा सकते है कि किसी भी पर्यटक द्वारा अपने यात्रा-वृतांत में वर्णित प्राकृतिक
नज़ारा आपके अनुभव से शायद ही मेल खाता हो।
आजकल पार्क, मनोरंजन
गृह, मॉल, होटल, मेला
एवं प्रदर्शनी इत्यादि पर्यटकों को यात्रा करने का प्रलोभन देती हैं। आधुनिक
कल-कारखानों के प्रबंधक भी पर्यटकों के लिए विशेष दिन या अवसर पर कारखाने की
गतिविधियों को दिखाने की अनुमति देते है। पर्यटन आजकल उद्योग का स्थान ले चूका है
इसलिए पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की सेवाओं में स्पर्धा देखने को मिलती है जिसका
फायदा पर्यटकों को मिलता है। इस आधुनिक दौर में हेल्थ टूरिज्म, एजुकेशन टूरिज्म,
स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर टूरिज्म, स्पेस टूरिज्म आदि का प्रचलन है।
भारत में सभी प्रकार के प्राकृतिक नज़ारें है और यहाँ ऐसे भी "अतिथि देवो भवः" का चलन है। भारतीय पर्यटकों को रिश्तेदारों के यहाँ मेहमान बन कर उस शहर के आस-पास के पर्यटन स्थल का भ्रमण आरामदायक हो जाता है।
भारत में सभी प्रकार के प्राकृतिक नज़ारें है और यहाँ ऐसे भी "अतिथि देवो भवः" का चलन है। भारतीय पर्यटकों को रिश्तेदारों के यहाँ मेहमान बन कर उस शहर के आस-पास के पर्यटन स्थल का भ्रमण आरामदायक हो जाता है।
उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए लगता है
कि भारत दर्शन के लिए एक जन्म कम पड़ने वाला है।
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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