खुशी का मन्त्र
खुशियाँ फैली यहाँ चारो ओर,
मन क्यों भागता है दुःख की ओर,
जीने का मज़ा तभी आएगा
जब मन देखेगा खुशी की ओर।
मन में दुख है बस एक कारण से,
पर खुशी मिल सकती हज़ारों से,
तो फिर मत सोचो एक कारण को
ख़ुशी ले लो! चाहने वालों से।
खिड़की खोल, तुम प्रकृति को देखो,
फूल, पेड़ औ' पक्षी को देखो,
ख़ुशी से चेहरा खिल जाएगा
रोते हुए को हँसा कर देखो।
ख़ुशी से चेहरा खिल जाएगा
रोते हुए को हँसा कर देखो।
छोड़ो, जाने दो, को मानो तुम,
निराशा का साथ भी छोड़ो तुम,
दुःख दे जो, उसे तुम नहीं सोचो
खुशियाँ दे, उसके साथ चलो तुम।
आस व अपेक्षा दुःख देता है,
जो चाहा, नहीं सदा मिलता है,
खुश रहना है तो खुद को बदलो
सभी बदलें, ये नहीं होता है।
No comments:
Post a Comment
मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'