("अत्यधिक भरोसा खतरे को जन्म देता है।") |
भरोसा
असहिष्णु शब्द का मर्म खूब जानते हैं वे।
देश कैसे बंटे? ये खूब जानते हैं वे।
जब से मैंने ये लिख दिया है अख़बार में,
मुझको ज़िन्दा देखना नहीं चाहते हैं वे।
तथा-कथित देशभक्त भी जानने लगे मुझे,
उनके मुताबिक़ मैं लिखूँ ये चाहते हैं वे।
अपना दल बनाकर राजा बन बैठें है जो
गणतंत्र में राज चले कैसे, ये जानते हैं वे।
उम्र भर उनको शासन करते हुए देखा है,
अब वंश करेगा शासन ये जानते हैं वे।
भोली वोटर दुविधा में हैं किस दल को चुने,
कुछ नहीं बदलने वाला ये जानते है वे।
जो तमाम उम्र नहीं की माँ-बाप की सेवा,
उनके चित्र से घर सजाना जानते है वे।
आज हाथ जोड़े नेता खड़ा है जो "राही",
कल सर झुकेगा सभी का, ये जानते है वे।
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
आज हाथ जोड़े नेता खड़ा है जो "राही",
कल सर झुकेगा सभी का, ये जानते है वे।
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'