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Friday, March 30, 2018

"इल्तिजा-ए-मुसाफ़िर"








"इल्तिजा-ए-मुसाफ़िर"

मुझको न हमज़बां, न  हमउमर चाहिए, 
मुझको  इक हमनवा, हमसफ़र चाहिए।

हुस्न-ए-मल्लिका से सजा बाज़ार है,
इक हमदम मुझे,  शामो-सहर चाहिए।

मेरी हिमाक़तों को तुम कुफ्र कह दो,
ख़ुदा तुम सा ही मुझको, मगर चाहिए।

इस भीड़ में निहायत अकेला हूँ मैं,
तेरे दामन में, मुझे बसर चाहिए।

जहाँ तेरे सिवा न रहता हो कोई, 
मुझको ऐसा ही एक शहर चाहिए।

तेरे दर पर अब, मैं सजदा करने लगा, 
अब मुझे, इनायत भरी नज़र चाहिए।

भटकता हुआ, अकेला "राही" हूँ मैं  
मुझको बस,  तुम जैसा रहबर चाहिए।
इल्तिजा-ए-मुसाफ़िर=राही की प्रार्थना;विनय;निवेदन 
हमज़बां=जिनकी ज़बान या भाषा एक जैसी हो
हमउमर=जिनकी उम्र एक जैसी हो
हमनवा=जिनकी सोच एक जैसी ही
हमसफ़र=जो सफर में एक साथ हो
हुस्न-ए-मल्लिका=सुंदरता की रानी
हमदम=दोस्त 
शामो-सहर=हर समय 
हिमाक़तों= बेवकूफ़ियों
कुफ्र=अधर्मता 
बसर= गुज़र; निर्वाह;जीवनयापन।
इनायत=कृपा
रहबर= मार्गदर्शक




Wednesday, March 28, 2018

MEME SERIES - 4


Biweekly Edition ( पाक्षिक संस्करण ) 28'March to 10'April


मीम (MEME)

"यह एक सैद्धांतिक इकाई है जो सांस्कृतिक विचारों, प्रतीकों या मान्यताओं आदि को लेखन, भाषण, रिवाजों या अन्य किसी अनुकरण योग्य विधा के माध्यम से एक मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क में पहँचाने का काम करती है। 

"मीम" शब्द प्राचीन यूनानी शब्द μίμημα; मीमेमा का संक्षिप्त रूप है जिसका अर्थ हिन्दी में नकल करना या नकल उतारना होता है। इस शब्द को गढ़ने और पहली बार प्रयोग करने का श्रेय ब्रिटिश विकासवादी जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिंस को जाता है जिन्होने 1976 में अपनी पुस्तक "द सेल्फिश जीन" (यह स्वार्थी जीन) में इसका प्रयोग किया था। इस शब्द को जीन शब्द को आधार बना कर गढ़ा गया था और इस शब्द को एक अवधारणा के रूप में प्रयोग कर उन्होने विचारों और सांस्कृतिक घटनाओं के प्रसार को विकासवादी सिद्धांतों के जरिए समझाने की कोशिश की थी। पुस्तक में मीम के उदाहरण के रूप में गीत, वाक्यांश, फैशन और मेहराब निर्माण की प्रौद्योगिकी इत्यादि शामिल है।"- विकिपीडिया से साभार.

MEME SERIES - 4


By looking at this picture you might be having certain reaction in your mind, through this express your reaction as the title or the  caption. The selected title or caption of few people will be published in the next MEME SERIES POST.

इस तस्वीर को देख कर आपके मन में अवश्य ही किसी भी प्रकार के प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई होगी, तो उसी को शीर्षक(TITLE) या अनुशीर्षक(CAPTION)के रूप में व्यक्त करें। चुने हुए शीर्षक(TITLE) या अनुशीर्षक(CAPTION)को अगले MEME SERIES POST में प्रकाशित की जाएगी।
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The next edition will be published on April 11, 2018. If you have similar type of picture on your blog, leave a link of your post in my comments section. I will link your posts on my blog in the next edition. 
Thank you very much dear friends for all your valuable captions for MEME SERIES-3 . Your participation and thoughts are deeply appreciated by me. Some of the best captions are listed below.

अगला संस्करण 11 अप्रैल , 2018 को प्रकाशित किया जाएगा। यदि आपके ब्लॉग पर इस तरह की कोई तस्वीर है, तो अपने पोस्ट का लिंक मेरी टिप्पणी अनुभाग में लिख दें। मैं अगले संस्करण में अपने ब्लॉग पर आपका पोस्ट लिंक कर दूंगा। 

मेरे प्रिय मित्रों, आपके सभी बहुमूल्य शीर्षक(TITLE) या अनुशीर्षक(CAPTION) के लिए धन्यवाद। MEME SERIES-3 के पोस्ट पर आपकी भागीदारी और विचारों ने मुझे बहुत प्रभावित किया, उनमें से कुछ बेहतरीन कैप्शन नीचे उल्लेखित हैं। 

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MEME SERIES-3 के बेहतरीन कैप्शन

चलो मिल के चले संग -संग , आ जाए हिम्मत 
बन जाए ताकत ।--- Shubha Mehta
Fevicol ka jod!- Deepak Amembal


 अरे वाह्ह्ह.... Interesting ...
 ये.सफ़र नहीं आसान--sweta sinha 

ज़िंदगी की जद्दोजहद है ज़ारी, मुश्किल सफ़र में मिल जाए कोई सवारी।- Ravindra Singh Yadav


समझौता, जगह से कर लो......-Meena Sharma



जहां चाह ,वहाँ राह ।।-Punam Mohan


 लागत कम, मुनाफा ज्यादा-Sudha's insights


© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"

Friday, March 23, 2018

फोटोग्राफी : पक्षी 50 (Photography : Bird 50 )


Photography: (dated 25 02 2018 01 :00 PM )

Place : Hari ke Pattan, Punjab, India

Little cormorant

The little cormorant is a member of the cormorant family of seabirds. Slightly smaller than the Indian cormorant it lacks a peaked head and has a shorter beak. It is widely distributed across the Indian Subcontinent and extends east to Java, where it is sometimes called the Javanese cormorant. It forages singly or sometimes in loose groups in lowland freshwater bodies, including small ponds, large lakes, streams and sometimes coastal estuaries. Like other cormorants, it is often found perched on a waterside rock with its wings spread out after coming out of the water. The entire body is black in the breeding season but the plumage is brownish, and the throat has a small whitish patch in the non-breeding season. These birds breed gregariously in trees, often joining other waterbirds at heronries.
  
Scientific name:  Microcarbo niger
Photographer   :  Rakesh kumar srivastava

छोटा पनकौवा, समुद्री पक्षी कोर्मोरेंट परिवार का सदस्य है। भारतीय पनकौवा की तुलना में यह थोड़ा छोटा है और इसकी ऊंचाई कम है और उसकी चोंच छोटी होती है। यह व्यापक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है और पूर्व में जावा तक पाया जाता है, जहां उसे कभी जावानीस कॉर्मोरेंट कहा जाता है यह छोटे-छोटे तालाबों, बड़े झीलों, धाराओं और कभी-कभी समुंद्री तट के साथ-साथ मीठे पानी के निचले इलाकों में अकेले या कभी-कभी अलग-अलग समूहों में रहते हैं। प्रजनन के मौसम में पूरे शरीर काला होता है, लेकिन पंख भूरा रहता है, और गैर-प्रजनन के मौसम में गले का एक छोटा सा सफेद पैच होता है।
वैज्ञानिक नाम: माइक्रोकोर्बो नायगर
फोटोग्राफर   : राकेश कुमार श्रीवास्तव

अन्य भाषा में नाम:-

Assamese: পানী কাউৰী; Gujarati: નાનો જળ કાગડો, નાનો કાજિયો; Hindi: छोटा पनकौवा, जोग्राबी; Kannada: ಪುಟ್ಟ ನೀರುಕಾಗೆ; Malayalam: ചെറിയ നീർക്കാക്ക; Marathi: छोटा पाणकावळा; Oriya: ପାଣିକୁଆ; Sanskrit: लघु जलकाक; Tamil: சின்ன நீர்க்காகம்









-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"




Wednesday, March 21, 2018

मेरी कविता




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                 मेरी कविता

शब्दों में सब की भावनाओं को, जब मैं ढाल पाता हूँ,
तब मैं अपनी कविता को, कोरे कागज़ पर लिख पाता हूँ.

आपके सुख और दुःख को, जब मैं शिद्दत से महसूस करूँ,
सब की हँसी और आँसू को, जब भी मैं  स्वयं महसूस करूँ,
या पल ऐसा हो, जो मेरी अंतरात्मा पर भी चोट करे
तब भावनाओं के रंगों से, मैं कविता की रचना करूँ.

मेरी कविता अश्रु  बहाती , जब मैं मज़लूमों को देखूँ ,
मेरी कविता हँसने लगती, जब हँसते बच्चों को देखूँ ,
मैं कविता के प्रत्येक शब्द के साथ जीता व मरता हूँ
मैं कविता तब लिखता हूँ , जब मैं दर्द या ख़ुशी को देखूँ .

प्रकृति की छटा निराली देख, मानव हर्षित हो जाता है,
नील गगन में उड़ते पक्षी  और फूल जब खिल जाता है,
मेरी कविता  इस  अनुभूति से कैसे दूर रह सकती है  
कहो कौन है, जो इसे  देख, अभिभूत नहीं हो जाता है.

मानव निर्मित  कृतियों को देख कर मैं अचंभित होता हूँ,
इसके विनाशकारी कृत्यों को, कहाँ भूल मैं पाता हूँ ,
भूत-वर्तमान में घटित कर्मों के अवलोकन से उपजे
हर्ष-विषाद के इस रंग को अपनी कविता में लिखता हूँ .

मैं ना कहता मेरी कविता समाज को राह दिखाएगी,
मैं नहीं कहता मेरी कविता  ज्ञान की ज्योति जलाएगी,
आशा है, जब कभी, आप मेरी कविताओं को पढ़ लेंगे
मेरी कविता की पंक्तियाँ, सोई संवेदना जगाएँगी.  

-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"




Friday, March 16, 2018

बे-वफ़ा









बे-वफ़ा 


मेरा आसमां, तेरे लिए,   
ये मेरी दुआ, तेरे लिए, 
मेरी चाहतें औ'  जुस्तुजू-2
ये इश्क भी, तेरे लिए।  

मेरी जान है, तेरे लिए, 
ये ईमान भी, तेरे लिए,  
हर शै में तुमको ही देखूँ -2
ये नज़र भी है, तेरे लिए। 

साया गम का, तुम पर, न पड़े, 
आँखों से आँसू भी न गिरे,
तू खुश रहे यूँ ही सदा-2
दामन ख़ुशी से  तेरा भरे।    

तुमसे कभी न मिल पाऊंगा,
तेरे बिना जी न पाऊंगा,
जानता हूँ, बेवफा है तू -2
सिला तुम से न ले पाऊंगा। 

यकीं से कहता हूँ, सुन ले तू,
याद किया गर, मुझ को तू , 
हिचकी ले ले, मर जाऊँगा-2
अब न याद करना, दिल से तू। 

मेरी स्वरचित कविता का स-स्वर आनंद लें और अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें.

 












-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"




Wednesday, March 14, 2018

MEME SERIES - 3


Biweekly Edition ( पाक्षिक संस्करण ) 14'March to 27'March


मीम (MEME)

"यह एक सैद्धांतिक इकाई है जो सांस्कृतिक विचारों, प्रतीकों या मान्यताओं आदि को लेखन, भाषण, रिवाजों या अन्य किसी अनुकरण योग्य विधा के माध्यम से एक मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क में पहँचाने का काम करती है। 

"मीम" शब्द प्राचीन यूनानी शब्द μίμημα; मीमेमा का संक्षिप्त रूप है जिसका अर्थ हिन्दी में नकल करना या नकल उतारना होता है। इस शब्द को गढ़ने और पहली बार प्रयोग करने का श्रेय ब्रिटिश विकासवादी जीवविज्ञानी रिचर्ड डॉकिंस को जाता है जिन्होने 1976 में अपनी पुस्तक "द सेल्फिश जीन" (यह स्वार्थी जीन) में इसका प्रयोग किया था। इस शब्द को जीन शब्द को आधार बना कर गढ़ा गया था और इस शब्द को एक अवधारणा के रूप में प्रयोग कर उन्होने विचारों और सांस्कृतिक घटनाओं के प्रसार को विकासवादी सिद्धांतों के जरिए समझाने की कोशिश की थी। पुस्तक में मीम के उदाहरण के रूप में गीत, वाक्यांश, फैशन और मेहराब निर्माण की प्रौद्योगिकी इत्यादि शामिल है।"- विकिपीडिया से साभार.

MEME SERIES  - 3


By looking at this picture you might be having certain reaction in your mind, through this express your reaction as the title or the  caption. The selected title or caption of few people will be published in the next MEME SERIES POST.

इस तस्वीर को देख कर आपके मन में अवश्य ही किसी भी प्रकार के प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई होगी, तो उसी को शीर्षक(TITLE) या अनुशीर्षक(CAPTION)के रूप में व्यक्त करें। चुने हुए शीर्षक(TITLE) या अनुशीर्षक(CAPTION)को अगले MEME SERIES POST में प्रकाशित की जाएगी।

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The next edition will be published on March 28, 2018. If you have similar type of picture on your blog, leave a link of your post in my comments section. I will link your posts on my blog in the next edition. 
Thank you very much dear friends for all your valuable captions for MEME SERIES-2 . Your participation and thoughts are deeply appreciated by me. Some of the best captions are listed below.

अगला संस्करण 28 मार्च, 2018 को प्रकाशित किया जाएगा। यदि आपके ब्लॉग पर इस तरह की कोई तस्वीर है, तो अपने पोस्ट का लिंक मेरी टिप्पणी अनुभाग में लिख दें। मैं अगले संस्करण में अपने ब्लॉग पर आपका पोस्ट लिंक कर दूंगा। 

मेरे प्रिय मित्रों, आपके सभी बहुमूल्य शीर्षक(TITLE) या अनुशीर्षक(CAPTION) के लिए धन्यवाद। MEME SERIES-2 के पोस्ट पर आपकी भागीदारी और विचारों ने मुझे बहुत प्रभावित किया, उनमें से कुछ बेहतरीन कैप्शन नीचे उल्लेखित हैं। 

प्यास के रंग ...    -----------------------------------------------------------------------Digamber Naswa
पहले तुम :)  ----------------------------------------------------------------------------Deepak Amembal6
साधन है पर ज्ञान नहीं। -----------------------------------------------------------------Ravindra Singh Yadav
अक़्ल के अंधो....बाल्टी रख दो... --------------------------------------------------------Ravindra Singh Yadav
हटो! मैं भी गला तर कर लूँ --------------------------------------------------------------Kavita Rawat
बुझा लो प्यास मेरे नंदी -----------------------------------------------------------------shakuntla shaku
  “The greatness of a nation and its moral progress can be judged by the way its animals are treated. 
― Mahatma Gandhi”-----Nikita Banerjee Bhagat
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"

Friday, March 9, 2018

फोटोग्राफी : पक्षी 49 (Photography : Bird 49 )


Photography: (dated 25 02 2018 2:15 PM )

Place : Hari ke Pattan, Punjab, India

Grey wagtail

The grey wagtail is a member of the wagtail family, Motacillidae, measuring around 18–19 cm overall length. The species looks somewhat similar to the yellow wagtail but in general it can be identified by the difference between its wings and legs. The legs of yellow wagtail is black in color. The yellow strips on the plumage of the gray wagtail is found and the yellow patch on its lower side at throat and vent rest of the lower part is white. Breeding males have a black throat. The species is widely distributed, with several populations breeding in Europe and Asia and migrating to tropical regions in Asia and Africa. The species is always associated with running water when breeding, although they may use man-made structures near streams for the nest. Outside the breeding season, they may also be seen around lakes, coasts and other watery habitats. Like other wagtails, they frequently wag their tail and fly low with undulations and they have a sharp call that is often given in flight.

Scientific name:  Motacilla cinerea
Photographer   :  Rakesh kumar srivastava

धूसर खंजन,वैगटेल परिवार का मोटासिलीडे नामक एक पक्षी है। यह पीले खंजन से मिलता-जुलता है। सामन्यतः इसके पंख एवं पैर के अंतर से पहचान सकते हैं। पीले खंजन का पैर काले रंग का होता है। धूसर खंजन के पंख पर पीली रेखा होती है और इसके नीचे की तरफ पीले रंग की पट्टी, गले और वेंट पर हो सकती है और शेष निचला हिस्सा सफ़ेद होता है। ये मूलतः यूरोप और एशिया में पाया जाता है और एशिया और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पलायन करते हैं। प्रजनन के मौसम इन्हें झीलों, तटों और अन्य पानी के निवास स्थान के आसपास भी देखा जा सकता है। 

वैज्ञानिक नाम: मोटासिला सिनेरेआ
फोटोग्राफर: राकेश कुमार श्रीवास्तव
अन्य भाषा में नाम:-
Hindiधूसर खंजन; Bengali: মেটে খঞ্জন; Kannada: ಬೂದು ಸಿಪಿಲೆ; Malayalam: വഴികുലുക്കി; Marathi: करडा धोबी; Nepali: फुस्रो टिकटिके; Tamil: சாம்பல்நிற வாலாட்டிக் குருவி




-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"



Wednesday, March 7, 2018

नारी सशक्तिकरण









       नारी सशक्तिकरण
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चल रही है, कब से, परिवर्तन की लहर,
दरवाज़े के पीछे, तुम ऐसे न ठहर,
तुम लाँघ लो इस बार, चौखट को अपनी 
आएगी जीवन में, सुनहरी सी सहर। 

बढ़ रहा, कारवाँ, गाँव-गाँव, शहर-शहर,
तुम शामिल हो इसमें, न सोच अगर-मगर,
अगर इस बार भी तुम ना निकली, तो फिर
रहेगी हरदम , नीची तेरी ये नज़र।
चल रही है,कब से, परिवर्तन की लहर-2  

पहले तू ,अपने-आप पर विश्वास कर,
अबला बनकर यूँ न जीवन, बर्बाद कर,
नहीं आएगा कोई, तुम को बचाने
तुम खुद ही, अपनी शक्ति का विस्तार कर। 
चल रही है,कब से, परिवर्तन की लहर-2 

सम्मान से ऊँचा रहे, ये अपना सर,
तो अपने सपनों को दे दो बस, एक पर,
लाख दुश्वारियाँ आ जाए जीवन में,
अपने हौसलों से ही, उनको फ़तह कर।
चल रही है,कब से, परिवर्तन की लहर-2  

आपस में हमेशा, यूँ ना तुम, लड़-झगड़,
सबला है तू, यूँ शक्ति का न, विनाश कर,
एकजुट हो, कर, अपना शक्ति प्रदर्शन 
और तू अपने दुश्मनों का संहार कर.
चल रही है,कब से, परिवर्तन की लहर-2 

हिम्मत दिखा दे अब, खुद को आज़ाद कर,
बाहर निकल, पैर की जंजीर तोड़ कर, 
कब तक होगी तेरे सब्र की इम्तिहाँ   
अब यूँ ही ना तुम ज़ुल्म को स्वीकार कर.
चल रही है,कब से, परिवर्तन की लहर-2  

बहू-बेटी में तू भी, अब ना फर्क कर,
साथ मिलकर तू, मुक्ति-पथ, प्रशस्त कर,
हो कोई लाचार, हो कोई पीड़िता,     
आगे बढ़ कर उसकी, मदद कर, मदद कर।
चल रही है,कब से, परिवर्तन की लहर-2
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"