कस्तूरबा गाँधी -जन्म 11 April 1869
(रचनात्मक परिवर्तनों की नेता और पोषणकर्ता)
(रचनात्मक परिवर्तनों की नेता और पोषणकर्ता)
कस्तूरबा थी नारी एक महान,
उन्होंने बनाई अपनी पहचान,
साज-श्रृंगार को छोड़ा था उसने,
अपने जीवन के उद्देश्य को जान।
पहले थी वह एक नारी निरक्षर,
लगन और मेहनत से बनी साक्षर
आजादी की पहली अलख जगी तब,
नारी आवाज की बनी हस्ताक्षर।
गाँधी जी ने जो देखे थे सपने,
बा ने उसको बना लिए थे अपने,
गाँधी जी को पग-पग साथ दिया था,
लगीं स्वतंत्रता की माला जपने।
खुद को बदलना, ना होता आसान,
बा बदली, परिस्थितियों को पहचान,
जीवन बदली, रंग-ढ़ंग भी बदला,
तब मोहनदास गाँधी बने महान।
© राकेश कुमार श्रीवास्तव 'राही'
कहां थे? २०२२ की पहली पोस्ट। सुन्दर।
ReplyDelete@सुशील कुमार जोशी शुक्रिया मुझ जैसे नाचीज़ की खोज ख़बर रखने के लिए। आज कल उपन्यास लिखने में व्यस्त हूँ।
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (12-4-22) को "ऐसे थे निराला के राम और राम की शक्तिपूजा" (चर्चा अंक 4398) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
@Kamini Sinha शुक्रिया मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए।
Deleteबहुत सुंदर रचना..राही जी
ReplyDelete@Alaknanda Singh Ji शुक्रिया .
Deleteकस्तूरबा गांधी पर बहुत ही सुंदर सृजन ।
ReplyDelete@Sudha Devrani Ji शुक्रिया.
Deleteबहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबा के व्यक्तित्व पर।
@कुसुम कोठारी जी शुक्रिया।
Delete@Onkar Ji शुक्रिया.
ReplyDeleteSuch a great post.... Big Tech Blogs
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