भारत में आदि कवि महर्षि वाल्मीकि आश्रम का दावा निम्नलिखित स्थानों पर किया जाता है, जहाँ लव-कुश का जन्म हुआ और सीता जी धरती में समाहित हुई ।
1. बाल्मीकि नगर जो वर्तमान में बिहार प्रान्त के अंतर्गत राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं को छूती एक-दूसरे से गले मिलती बिहार, नेपाल और उत्तर प्रदेश के बीच बाल्मीकि नगर का यह स्थान महर्षि बाल्मीकि स्थान के नाम से जाना जाता है। स्वर्ण भद्रा ,ताम्रभाद्र और नारायणी जैसी प्राचीन देव नदियों का संगम इसी स्थान पर है। आज स्वर्ण भद्रा को सरस्वती ,ताम्रभद्रा को तमसा कहा जाता है।
2. सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी) मंदिर संत रविदास नगर जिले में स्थित है। यह मंदिर इलाहबाद और वाराणसी के मध्य स्थित जंगीगंज बाज़ार से 11 किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है जहाँ टोंस नदी (तमसा) मिलती है।
3. महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली लालापुर चित्रकूट-इलाहाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग में है। झुकेही से निकली तमसा नदी इस आश्रम के समीप से बहती हुई सिरसर के समीप यमुना में मिल जाती है।
4. कानपुर शहर से 17 किलोमीटर दूर बिठूर में ।
5. तुरतुरिया ज़िला रायपुर, छत्तीसगढ़
6. मेरठ से करीब 27 किलोमीटर दूर बागपत का एक गांव है बलैनी में हिंडन नदी के पास स्थित है।
7. नवादा जिले के मेसकौर प्रखंड के सीतामढ़ी में ।
8. राजस्थान के बारां जिले में केलवाड़ा कस्बे के पास स्थित सीताबाड़ी मंदिर।
9. मऊ जनपद मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम दिशा में ।
10. अशोकनगर जिले से करीब 35 किलोमीटर दूरी पर मुंगावली तहसील के करीला गांव में ।
11. अमृतसर से 11 किमी दूर पर रामतीरथ मंदिर है। आज मैं आपको अमृतसर में स्थित महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली की सैर पर ले चलता हूँ :
रामतीर्थ मंदिर
आदि कवि संत वाल्मीकि जी के आश्रम में भगवान् श्री राम जी के पुत्र लव और कुश का जन्मस्थल है और यहाँ पर माता सीता जी धरती में समाहित हुई थी । श्री राम तीर्थ मंदिर, महर्षि वाल्मीकि जी को समर्पित, राम तीरथ रोड, कलर,अमृतसर से पश्चिम दिशा में करीब 11 किमी दूर , पंजाब में स्थित है। इस नैयनाभिराम मंदिर का निर्माण पंजाब सरकार की महत्तवाकांक्षी परियोजना थी, और इसका निर्माण 200 करोड़ की राशि की लागत से किया गया है। यहाँ पर आप आधुनिक एवं पुरातन काल के संगम को स्वतः महसूस कर सकते है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही इसकी भव्यता आपको आकृष्ट करती है। सरोवर विहीन मशहूर मंदिर एवं गुरूद्वारे की कल्पना आप पंजाब में नहीं कर सकते और इसी कथनी को सत्यापित करता है सरोवर के बीच बना भव्य मंदिर। अपनी विशिष्ट शैली से निर्मित यह स्मारक-सह-भगवान वाल्मीकि मंदिर अपने-आप में अनूठा है। मंदिर के प्रागण में 80 फुट का महावीर श्री हनुमान जी की मूर्ति बरबस अपनी ओर आकृष्ट करती है और जब आप सरोवर के बीच बने भव्य मंदिर में प्रवेश करते है तो 5.5 फीट ऊंची 800 किलोग्राम वजन की , स्वर्ण परत से मढ़ी गई भगवान् वाल्मीकि जी की सौम्य एवं विशाल मूर्ति के दर्शन मात्र से दिल में शान्ति के दीप जल उठते हैं। इस मूर्ति के मूर्तिकार प्रभात राय जी हैं। 1 दिसम्बर 2016 दिन गुरुवार को भगवान् वाल्मीकि जी की मूर्ति की स्थापना के साथ ही अत्याधुनिक स्मारक-सह-भगवान वाल्मीकि मंदिर का उद्घाटन किया गया। यहाँ हर साल दिवाली के पंद्रह दिन बाद पांच दिनों की अवधि के लिए मेला आयोजित किया जाता है। यहाँ पर अपना मकान बनाने की मनोकामना पूर्ण करने हेतु श्रद्धालु द्वारा दो-चार ईटों द्वारा घर बना कर, मन्नत मांगने की प्रथा भी है। आइए आपको तस्वीरों के माध्यम से इस मंदिर का दर्शन करायें :
सीता कुण्ड
ईट का बना मनौती वाला घर
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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