गया
दिसंबर, अब
मौसम है नववर्ष मनाने का,
सुध लेनी
है मुझको, दिल
में बसने वालों का,
दे दूँ
शुभकामनाएं सबको,
पर चिंता है
बस इतनी
कहीं छूट ना जाए नाम कोई,
मेरे चाहने
वालों का।
नववर्ष
का दिन है यारों,
ख़ुशी मनाने
का,
यारों
के संग खाना-पीना,
नाचने-गाने
का,
नहीं
भूलना उनको यारों जो काम
तुम्हारे आते
मौका
है, उनके
चेहरे पर मुस्कान फैलाने का।
बीते
साल के दर्द को भूल,
आगे बढ़ जाना
है,
नववर्ष
में अपने जीवन को सपनों से
सजाना है,
कर लो
प्रतिज्ञा, साकार
करेंगे अपने सपनों को
नववर्ष
में मिलेगी सफलता बस कदम बढ़ाना
है।
गिला
शिकवा छोड़ कर सबको गले लगाना
है,
अपनी खुशियों में अपनो को भूल ना
जाना है,
कितना
भी हो मशरूफ तुम अपने ही कर्मों
में
सब काम
को छोड़, रोते
हुए बच्चों को हंसाना है।
इस
नववर्ष में हम को कुछ संकल्प
उठाना है,
नशा-मुक्त
हो हमारे युवा उन्हें राह
दिखाना है,
बेटी
बचाओ, बेटी
पढ़ाओ का संदेश फैलाना है,
स्त्रियों का करें सम्मान ये बच्चों को समझाना है।
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
स्त्रियों का करें सम्मान ये बच्चों को समझाना है।
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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