चाँद-तारों को जमीं पर ला दूँ, तो क्या होगा ,
तेरी जुल्फों में सितारें सजा दूँ, तो क्या होगा ,
तुम मेरी धडकनों में बसती हो,
तुम मुझसे जुदा हो गई, तो मेरा क्या होगा .
तेरे मयखाने में बैठकर, जाम पीने से क्या होगा ,
तेरे नशे में दिन-रात, झूमने से क्या होगा ,
तू मेरे सामने बैठी है , चिलमन में,
तो मेरी आँखों में आसूं नहीं तो, और क्या होगा.
वो तुझे चाहता ही नहीं, तेरे चाहने से क्या होगा,
मैं तुझे चाहता हूँ, मेरे चाहने से क्या होगा ,
एक बार अपने चाहने की कसौटी पर आजमा ले मुझे ,
बेवजह मुझको ठुकराने से, तेरा क्या होगा.
तू न मिली मुझे, तो मेरे प्यार का अंजाम क्या होगा ,
मैं तुझे तुम से ही मांग लूँ, तो तेरा क्या होगा ,
सुना है तेरे दर से कोई खाली हाथ नहीं जाता,
गर मुझको कुछ न मिला तो तेरा क्या होगा.
तेरे नाम की माला दिन-रात जपा करता हूँ,
लाख कमियां है मुझ में, ये इकरार तुमसे करता हूँ ,
तेरी सोहबत में सुधर जाऊँगा ,
तू मुझे अपना सा बना दे ये फ़रियाद तुझ से करता हूँ.
तेरी जुल्फों में सितारें सजा दूँ, तो क्या होगा ,
तुम मेरी धडकनों में बसती हो,
तुम मुझसे जुदा हो गई, तो मेरा क्या होगा .
तेरे मयखाने में बैठकर, जाम पीने से क्या होगा ,
तेरे नशे में दिन-रात, झूमने से क्या होगा ,
तू मेरे सामने बैठी है , चिलमन में,
तो मेरी आँखों में आसूं नहीं तो, और क्या होगा.
वो तुझे चाहता ही नहीं, तेरे चाहने से क्या होगा,
मैं तुझे चाहता हूँ, मेरे चाहने से क्या होगा ,
एक बार अपने चाहने की कसौटी पर आजमा ले मुझे ,
बेवजह मुझको ठुकराने से, तेरा क्या होगा.
तू न मिली मुझे, तो मेरे प्यार का अंजाम क्या होगा ,
मैं तुझे तुम से ही मांग लूँ, तो तेरा क्या होगा ,
सुना है तेरे दर से कोई खाली हाथ नहीं जाता,
गर मुझको कुछ न मिला तो तेरा क्या होगा.
तेरे नाम की माला दिन-रात जपा करता हूँ,
लाख कमियां है मुझ में, ये इकरार तुमसे करता हूँ ,
तेरी सोहबत में सुधर जाऊँगा ,
तू मुझे अपना सा बना दे ये फ़रियाद तुझ से करता हूँ.
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव
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