इन्टरनेट से साभार |
फागुन गीत
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई।
चारों तरफ रंग और गुलाल उड़त है,
जिया हमरा, तेरे रंग में रंगने को तड़पत है,
तेरे सामने खड़ी हूँ, किस बात की है देरी,
अब देर न करो मेरे, कृष्ण-कन्हाई।
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई।
राधा को रंग डाला तूने,गोपियों को रंग डाला,
मेरी बारी, आई तो क्यों नहीं मुझे रंग डाला,
अपने ही रंग में मुझे रंग डालो कन्हाई,
अब देर न करो मेरे, कृष्ण-कन्हाई। होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई।
सूनी-सूनी अँखियन से आँसू बहत है,
चोली भींगत है, मेरी अंगियाँ भींजत है,
रोम-रोम मेरा तेरे प्यार को तरसत है,
अब देर न करो मेरे, कृष्ण-कन्हाई।
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
आँखें खोलो सखी, तेरे सामने खड़े हैं,
सभी रंगों से तेरी, चोली-अंगिया भींजत है,
तेरे सामने कृष्ण-कोरे, नहीं अच्छे लगत है,
अब देर न करो मेरी, प्राण-प्यारी।
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई।
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
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