इंटरनेट से साभार |
अरैन्ज्ड मेरिज
हम दोनों ने कब सोचा था,
होगा जीवन का सफर सुहाना,
सालों-साल ऐसे गुजर गए,
जैसे हो एक सुंदर सपना।
प्रणय-सूत्र में बंधे थे दोनों,
मान कर माता-पिता का कहना,
तिनका-तिनका जोड़ कर हमने,
बनाया एक सुंदर आशियाना।
सात वचनों का मतलब क्या है,
तब तो हमने नहीं जाना,
प्यार समर्पण के भाव से,
अनजाने में सात वचनों को माना।
माना इक-दूजे को समझने में,
थोडा समय लगा था,
सामंजस्य जब बना दोनों में,
जीवन की गाडी सरपट दौड़ी थी।
आज मैं हो गया साठ साल का,
और तुम हो गई पचपन की,
खुशियाँ हमेशा पास में रहती,
ख्वाहिश खत्म नहीं होती जीने की।
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
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