फोटो एवं ग्राफ़िक्स -राकेश कुमार श्रीवास्तव (R. K. SRIVASTAV) |
इल्तिजा
दिल में बस गए हो तुम,
यूँ मुझसे रूठा न करो।
मेरी जां, जान निकल जायेगी ,
यूँ बेरुखी से देखा न करो।
तेरे सिवा नहीं कोई मेरा इस दुनियाँ में,
यूँ सरेआम बदनाम न करो।
मैंने माना है तुझे अपना किनारा,
यूँ मुझसे मुँह मोड़ा न करो।
जिंदगी में खुशियाँ हैं तेरे दम पे,
यूँ मेरे ख्वाब को तोड़ा न करो।
जीती हैं मछलियाँ, कभी पानी के बगैर ,
यूँ मेरे मरने का इंतजाम न करो।
जाओ!बस इतनी सी इल्तिजा है मेरी,
यूँ मेरी मोहब्बत को शर्मसार न करो।
"The United Nations' (UN) International Mother Language Day"
"yearly celebrates February 21"
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
bahut bahut khoob....
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