भारत माँ
तू तो मेरी प्यारी माँ ,
तेरी शान निराली माँ ।
तेरे आँचल में हरियाली ,
सर पे ताज हिमालय माँ ।।
करोड़ो बहती सरिता तुझ में,
बनकर रुधिर वाहिका तन में ।
अगल-बगल सागर लहराती,
पाँव हिंद महासागर पखारती ।।
तुझ में सृष्टि की सारी रचना,
नदी झील सागर और झरना ।
मरुस्थल पर्वतों का क्या कहना,
लगता है जैसे हो सपना ।।
खनिज संपदा वनस्पति अपार है,
जलीय-जीव पशु-पक्षी नाना-प्रकार है ।
तेरे कारण यहाँ जीवन आसान है,
कैसे न कहूँ माँ तू महान है ।।
ऋतु मौसम ऐसे सजा है,
सभी दिशाओं में विभिन्न फिज़ा है ।
ऐसा नज़ारा और कहाँ है,
सारे विश्व का रूप यहाँ है ।।
लूटने आया जो भी तुझको,
ऐसे रिझाया तुमने उसको ।
वो तेरा गुलाम हो गया,
कदमों में तेरी दो जहाँ पा गया ।।
अनेक रंग जाति और भाषा ,
सभी भारतीयों की एक ही आशा ।
हमारा भारत बने महान,
इसके लिए हम दे दें जान ।।
तेरी सेवा किए ज्ञानी-विज्ञानी,
कण-कण में संतों की वाणी ।
कभी तेरे काम आ जाऊ माँ ,
हँसते हुए शीश चढ़ाऊ माँ ।।
koshishein kaamyaab ho rhi hai
ReplyDeletepurv avdharnaayein dhumil ho rhi hai
nyi tasweer ubhar aayegi
jyo jyo rango me piro rhi hai
देश हमारा सबसे प्यारा..
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना....
ReplyDeleteप्यारे से देश को समर्पित...
सादर
अनु