बादल छटें,
निकला है सूरज,
ठंड भी गई।
ठंड भी गई।
गर्म कपड़े,
रजाई व कंबल,
रजाई व कंबल,
दुबके पड़े।
खिलते फूल,
बागों में तितलियाँ,
आया बसंत।
मिली औरतें,
बाँटती सुख-दुःख
फैली खुशियाँ।
हाइकु - बसंतोपरांत
खेल है बंद,
छात्र करें पढ़ाई,
परीक्षा आई।
परीक्षा आई।
परीक्षाफल,
पास-फेल का खेल,
पप्पू परेशां।
गया बसंत
आया है आयकर
पापा परेशां।
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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