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Wednesday, September 21, 2016

वाक्यांश- पेशा



वाक्यांश- पेशा     

अपने पिता जी  के दिवंगत होने के बाद दीनानाथ जी ने सेवानिवृति उपरांत अपने पैतृक गाँव में बसने का निर्णय लिया। खेत-खलिहानों से प्यार उनके रग-रग में बसा था।  जब कभी उनको नौकरी से छुट्टी मिलती वे गाँव चले जाते। खेती-बाड़ी में खुलकर तन-मन-धन से अपने पिता जी को सहयोग करते। उनके पिता जी दूरदर्शी थे इस लिए उन्होंने जीते जी जमीन-जायदाद का रजिस्टर्ड  बटवारा तीनो बेटों  के नाम कर दिया।  यह बात उनके मरणोपरांत ही उनके तीनों बेटों को पता चली । तब दीनानाथ जी के सेवानिवृति में अभी दो वर्ष शेष थे। दीनानाथ जी के दोनों भाई ज्यादा पढ़ नहीं पाये इसलिए वे खेती-बाड़ी पर ही आश्रित थे। दोनों भाई सपरिवार खेती-बाड़ी के कार्य में जुटे थे और मज़े में अपना जीवोकोपार्जन कर रहे थे । दोनों भाइयों के घर में  ट्रैक्टर, गाय-भैंस, एल ई डी टीवी, फ्रिज़ आदि सभी प्रकार के सुख सुविधायें उपलब्ध थी। शहर के विस्तार होने कारण दीनानाथ जी का गाँव अब शहर के सरहद में आ गया था। मल्टीनेशनल कम्पनियाँ के नए-नए प्रोजेक्ट गाँव के आस-पास लगाने से बिजली, पानी और सडकों की उत्तम व्यवस्था हो गई थी। खैर ! दीनानाथ जी ने दो साल में एक सुंदर मकान बनवाया चूँकि पुश्तैनी मकान में उनके दोनों भाइयों ने कब्ज़ा जमा लिया था और वे सेवानिवृति उपरांत अपनी पत्नी एवं एक मात्र लडके के साथ गाँव में आकर बस गए। उनका लड़का ग्रेजुएशन करके बेरोजगार था और उसकी सरकारी नौकरी के आवेदन करने की उम्र पात्रता भी ख़त्म हो गई थी। दीनानाथ जी ने सोचा चलो ईश्वर कृपा से इतनी उपजाऊ जमीन है।  बेटा मेहनत करेगा तो उसकी शादी कर देंगे और उसकी ज़िन्दगी खुशहाल हो जाएगी। इसी सोच के साथ वह सुबह उठे। सुबह बाप-बेटे ने नास्ता किया उसी दौरान दीनानाथ जी ने बेटे से कहा कि आज तुम्हें मेरे साथ खेत पर चलना है। बाप-बेटे दोनों तैयार होकर ट्रैक्टर से खेत की तरफ निकल पड़े। 

खेत के विशाल भू-खंड को देख कर सीना चौड़ा कर के दीनानाथ जी ने अपने बेटे से कहा -" देखो ये हमारी विरासत है और इसको आगे चल कर तुम्हे संभालना है इसलिए इसमें तुम रूचि लेना शुरू करो।"

 बेटे ने भी ख़ुशी-ख़ुशी हाँ में हाँ मिलाई। उसने चारों तरफ नज़र दौड़ाई, चंद टुकड़े खेत को छोड़ कर सभी तरफ उसे फैक्ट्री, मॉल और नई -नई कॉलोनी के प्लॉट दिखाई दे रहे थे।

दीनानाथ जी ने बेटे  से कहा - "खेतों में मैंने धान के बीज डाल दिए थे।  कल धान के पौधों को पुरे खेत में लगाना है इसलिए मजदूरों की जरुरत होगी।  चलो ! उनकी बस्ती चलते है।"

इतना सुनते ही उनका बेटा ट्रैक्टर से कूद पड़ा और जोर से बोला - "अच्छा पिता जी! आप चाहते हैं कि मैं खेती करूँ परंतु मैं आपको साफ़-साफ़ बता देना चाहता  हूँ कि मैं इस खेत की प्लॉटिंग तो  कर सकता हूँ परंतु खेती नहीं।"

इतना सुनते ही दीनानाथ जी को लगा जैसे बेटा कह रहा हो कि मैं आपकी सेवा तो नहीं कर सकता अपितु अंतिम संस्कार अवश्य कर सकता हूँ। दीनानाथ जी यह बात सहन नहीं कर पाए और हृदयाघात के कारण वहीं  ट्रैक्टर से गिर पड़े।

आज वहाँ पैराडाइज हाऊसिंग सोसाइटी का बोर्ड लगा है और उनका बेटा बिचौलियों के जाल में फंस कर नशे का आदि हो गया। सब कुछ बिक जाने के बाद आज दीनानाथ जी का बेटा पैराडाइज हाऊसिंग सोसाइटी के कांट्रेक्टर के अधीन काम कर रहा है।

वाक्यांश - "शब्द–समूह के लिए एक शब्द"


- © राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"

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