इंटरनेट से साभार |
सफलता
पक्षी अपने दो पंखों सेनील-गगन में उड़ता है,
हे मानव! तेरे पंख-असंख्य
फिर भी विफल हो, तू रोता है।
सपनों के पंख लगाकर तू
इन्द्रधनुष सजा जीवन में तू,
पूरा करना है सपनों को तो
क्यों सोकर वक्त बिताता है।
हे मानव! तेरे पंख-असंख्य
फिर भी विफल हो, तू रोता है।
हौसलों के पंख लगाकर तू
कर ले साकार सपनों को तू,
लाख बाधाएं हो जीवन में
तू कर्म करने से क्यूँ घबराता है।
हे मानव! तेरे पंख-असंख्य
फिर भी विफल हो, तू रोता है।
विश्वास का पंख लगाकर तू
कर्म में लगा दे तन-मन तू,
लक्ष्य तुम्हें मिल जाएगा
क्यूँ आशंकाओं से डरता है।
हे मानव! तेरे पंख-असंख्य
फिर भी विफल हो, तू रोता है।
अदृश्य पंखों से सजा खुद को
निराशावादी बनने से बचा खुद को,
सुनहरे अवसर खड़े हैं जीवन में
क्यों अवसर को यूँ खोता है।
हे मानव! तेरे पंख-असंख्य
फिर भी विफल हो, तू रोता है।
असफलता से न तू हार कभी
असफलता सफलता की सीढ़ी है,
जो खुद पर विश्वास करे जीवन में
उसको सफल करने में,
सारी कायनात लग जाती है।
हे मानव! तेरे पंख-असंख्य
फिर भी विफल हो, तू रोता है।
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मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'