तेरे दर पे आया
हूँ,
इबादत करने आया
हूँ,
पर तेरी ही शिकायत,
तुम से करने आया
हूँ।
तूने सब कुछ मुझको
दिया है,
तेरे आसरे तेरा
भक्त जिया है,
मुझसे क्या भूल हुई
भगवन,
कि मेरे चिराग़ का
हाल ये हुआ है।
मुझसे क्यों तू रूठा हुआ है,
तेरी रहमत अबतक क्यों
नहीं मिली है,
ग़र मुझसे भूल हुई
है भगवन,
तो इस मासूम को
क्यों सज़ा दिया है।
हर भक्त का इम्तिहां तुम लेते हो,
पर तुम्हीं उसकी लाज रखते हो,
सब्र का बांध टूट रहा है भगवन,
क्यों नहीं मेरा मान रखते हो।
अश्रु-धारा अब रूकती नहीं है.
मेरी शिकायत दूर, नहीं हुई है,
किस बात की देरी है भगवन ,
मेरी सांसे अब रुकी हुई हैं।
तूने फिर चमत्कार किया है,
भक्त की शिकायत दूर किया है,
कैसे तेरा शुक्रिया अदा करूँ मैं भगवन,
मेरा चिराग फिर उठ खड़ा हुआ है।
तेरे दर से न कोई खाली जाता,
तेरी कृपा सब पर है बरसती ,
हमसब हैं तंगदिल वाले भगवन,
इसलिए तेरी रहमत सबको नहीं मिलती।
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव
हर भक्त का इम्तिहां तुम लेते हो,
पर तुम्हीं उसकी लाज रखते हो,
सब्र का बांध टूट रहा है भगवन,
क्यों नहीं मेरा मान रखते हो।
अश्रु-धारा अब रूकती नहीं है.
मेरी शिकायत दूर, नहीं हुई है,
किस बात की देरी है भगवन ,
मेरी सांसे अब रुकी हुई हैं।
तूने फिर चमत्कार किया है,
भक्त की शिकायत दूर किया है,
कैसे तेरा शुक्रिया अदा करूँ मैं भगवन,
मेरा चिराग फिर उठ खड़ा हुआ है।
तेरे दर से न कोई खाली जाता,
तेरी कृपा सब पर है बरसती ,
हमसब हैं तंगदिल वाले भगवन,
इसलिए तेरी रहमत सबको नहीं मिलती।
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव
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