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Wednesday, March 26, 2014

दुआ कुबूल हुई



इन्टरनेट से साभार 


   




   
  दुआ कुबूल हुई



जब तेरी इक, झलक, दिख जाती है मुझे,

कोई अपना सा, दिल को, लगता है।  

अपनी चाहत को, बंदिशें, दे दी हमने,

प्यार के इजहार से, डर, लगता है। 


तेरे बारे में मेरे, जज्बात, बयाँ करने को,

मेरी जुबां को सही, अल्फाज़, नहीं मिलते।

बस इक मुलाक़ात का, इंतज़ार, है मुझको,

मुझे यकीं है मेरे, जज्बात, को आँखें ही बयां कर देंगी। 


नसीब देखिये कि, हालात, ऐसे हो ही गए,

उनसे मुलाक़ात की कोई, सूरत, नहीं मिलती। 


मुद्दतों बाद, मुलाक़ात, हुई भी उनसे,

नज़रें मिलाने की, हिम्मत नहीं मिलती। 


उन्हीं के ख्यालों में, जी, रही थी अब तक,

वो मेरे सामने और, आँखें, शर्मों-हया से खुली ही नहीं। 


कानों में रागिनी सी गूंजी, हमसफ़र, तुम बनोगी मेरी,

दुआ मेरी कुबूल हुई, न जुबां खुली न ही नज़रें मिली। 


-राकेश कुमार श्रीवास्तव 



Wednesday, March 5, 2014

फागुन गीत

इन्टरनेट से साभार 



          










      फागुन गीत

होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई, 
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई। 

चारों तरफ रंग और गुलाल उड़त है,
जिया हमरा, तेरे रंग में रंगने को तड़पत है,
तेरे सामने खड़ी हूँ, किस बात की है देरी,
अब देर न करो मेरे, कृष्ण-कन्हाई। 

होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई। 

राधा को रंग डाला तूने,गोपियों को रंग डाला,
मेरी बारी, आई तो क्यों नहीं मुझे रंग डाला,
अपने ही रंग में मुझे रंग डालो कन्हाई,
अब देर न करो मेरे, कृष्ण-कन्हाई। 

होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई। 

सूनी-सूनी अँखियन से आँसू बहत है,
चोली भींगत है, मेरी अंगियाँ भींजत है,
रोम-रोम मेरा तेरे प्यार को तरसत है,
अब देर न करो मेरे, कृष्ण-कन्हाई। 

होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,

आँखें खोलो सखी, तेरे सामने खड़े हैं,
सभी रंगों से तेरी, चोली-अंगिया भींजत है,
तेरे सामने कृष्ण-कोरे, नहीं अच्छे लगत है,
अब देर न करो मेरी, प्राण-प्यारी। 

होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई,
होली, आई-रे-आई, मेरे कृष्ण-कन्हाई। 
      
                                                  -राकेश कुमार श्रीवास्तव