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Monday, January 6, 2014

घर


इन्टरनेट से साभार 


     








          घर

हम दोनों का घर एक हो,
सुन्दर और सलोना !
हम दोनों के प्यार से महके,
इस घर का हर कोना!!

विश्वासों पर टिकी नींव हो,
उस घर का क्या कहना!
अहंकार की न दीवार कोई हो,
मिलजुल कर है रहना!!

खुले विचारों की द्वार-खिडकी हो,
ऐसे घर में है रहना!
खुशियों की छत सर पे हो,
विपदा कभी पड़े ना!!

प्रणय मिलन से दो फूल खिले हों,
महके अपना घर-अँगना!
सपनों का घर अपना ऐसा हो,
एक-दूजे का साथ कभी छूटे ना!!

                                    - राकेश कुमार श्रीवास्तव


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