इन्टरनेट से साभार |
घर
हम दोनों का घर एक हो,
सुन्दर और सलोना !
हम दोनों के प्यार से महके,
इस घर का हर कोना!!
विश्वासों पर टिकी नींव हो,
उस घर का क्या कहना!
अहंकार की न दीवार कोई हो,
मिलजुल कर है रहना!!
खुले विचारों की द्वार-खिडकी हो,
ऐसे घर में है रहना!
खुशियों की छत सर पे हो,
विपदा कभी पड़े ना!!
प्रणय मिलन से दो फूल खिले हों,
महके अपना घर-अँगना!
सपनों का घर अपना ऐसा हो,
एक-दूजे का साथ कभी छूटे ना!!
- राकेश कुमार श्रीवास्तव
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