कैक्टस का फूल
काँटों के बीच खिला है फूल,
जीवन का है यही उसूल,
दुःख के बाद सुख आएगा ,
यह सिखलाता कैक्टस का फूल।
फूलों का जीवन छोटा है,
काहे को ये मन रोता है,
किया कर्म जो सच्चे मन से,
काँटों में भी, फूल खिलता है।
खुशियों का जीवन चंद दिनों का,
मीठा फल है तेरे सब्र का,
ऊर्जा असीम ये जीवन को देगा,
कर्म जरिया है खुशियाँ पाने का।
खुशियाँ, सपनों में पलती है
इक दिन सबको ही मिलती है,
सच्चे मन से जब कर्म करो तो
जीवन में खुशियाँ मिलती है।
कैक्टस का जीवन एक तप है,
आवश्यकताएँ इसकी, बहुत ही कम है,
फूल खिले तो सिर पर रखता है,
सभी मौसम में सम रहता है।
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
No comments:
Post a Comment
मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'