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भजन
राम कहें या ईशु कहें ,
अल्लाह कहें या वाहेगुरु।
सबका मतलब, एक है यारों,
कुछ भी कहें, सब एक है वो।।
दीन-दुखियों के, वो रखवाले ,
हर शै में है , उसका नूर ।
उनको जब भी, दिल से पुकारो,
पास मिलेंगे , हर - पल वो ।।
करुणा दया और प्यार है जिसमें,
कृपा अपनी बरसाते है उस पे।
बीच भँवर में, जब नैया डूबे,
माँझी बन , पार लगाते वो।।
प्यार से मिलकर, हम सब मनाएँ,
सभी धर्म के , त्योहारों को।
हर मज़हब को, प्यार से देखो,
सभी जगह , रहता है वो।।
क्षेत्र, भाषा, जाति और धर्म में ,
मत बाटों , अपने आप को।
नफ़रत की दीवार को तोड़ो,
हर दिल में, बसता है वो।।
शै=चीज़, वस्तु
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
मरम न कोउ जाना..
ReplyDeleteसच कहा है ... सभी कुछ एक ही है पर इनसान को समझना जरूरी है ये सब ...
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