चलो फिर से वही अपने,
सुहाने दिनों को लें आयें।
चलो फिर से वही अपने,
ख़ुशी के पलों को लें आयें।
न यूँ तन्हां हम-तुम रहें,
ख़ुशी का सामान लें आयें।
कुछ सपने हम-तुम देखें,
ऐसे पल फिर से लें आयें।
चलो कर लें नादानियाँ,
हम अपनी बचपन लें आयें।
ख़ुश रहें हम-तुम हमेशा,
उसी ज़ज्बात को लें आयें।
उदास जीवन अपना है
ना है इन्द्रधनुष इस में
हम-तुम खो जायें बाहों में,
फिर वो सात रंग लें आयें।
इस गीत को निचे दिए गए लिंक को क्लिक कर सुन सकते हैं।
चलो फिर से वही अपने,
ख़ुशी के पलों को लें आयें।
न यूँ तन्हां हम-तुम रहें,
ख़ुशी का सामान लें आयें।
कुछ सपने हम-तुम देखें,
ऐसे पल फिर से लें आयें।
चलो कर लें नादानियाँ,
हम अपनी बचपन लें आयें।
ख़ुश रहें हम-तुम हमेशा,
उसी ज़ज्बात को लें आयें।
उदास जीवन अपना है
ना है इन्द्रधनुष इस में
हम-तुम खो जायें बाहों में,
फिर वो सात रंग लें आयें।
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-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
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