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Wednesday, October 11, 2017

हम-तुम















      हम-तुम

चलो फिर से वही अपने, 
सुहाने दिनों को लें आयें। 

चलो फिर से वही अपने, 
ख़ुशी के पलों को लें आयें। 

न यूँ तन्हां हम-तुम रहें,
ख़ुशी का सामान लें आयें। 

कुछ सपने हम-तुम देखें,
ऐसे पल फिर से लें आयें। 

चलो कर लें नादानियाँ,
हम अपनी बचपन लें आयें। 

ख़ुश रहें हम-तुम हमेशा,
उसी ज़ज्बात को लें आयें। 

उदास जीवन अपना है  
ना है इन्द्रधनुष इस में  
हम-तुम खो जायें बाहों में,
फिर वो सात रंग लें आयें। 

इस गीत को निचे दिए गए लिंक को क्लिक कर सुन सकते हैं।



-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"



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