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Monday, December 16, 2019

मोहब्बत



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मोहब्बत

साक़ी क्या मिलाई है, तू ने प्यालों में। 

पीकर रहता हूँ, तेरे ही ख़यालों में। 


तुम मुझे चाहो, मेरी चाहत है साक़ी,  

मेरा कभी नाम हो, चाहने वालों में। 


कलम से निकले थे, कभी अरमान साक़ी, 

उन्हीं खतों का चर्चा है, शहर वालों में। 


तेरा करम, जो तू ने मुझ को अपनाया

मशहूर हो गया मैं, सभी दिलवालों में। 


जब से छोड़ गई हो, अकेले इस जग में,  

उलझे हुए हैं, बेवजह के सवालों में।  

©  राकेश कुमार श्रीवास्तव 'राही'