पुस्तक समीक्षा- “ज़िन्दा है मन्टो”
केदारनाथ ‘शब्द मसीह’ एवं के.बी.एस. प्रकाशन, दिल्ली की पुस्तक “ज़िन्दा है मन्टो” एक लघु-कथा संग्रह है। मन्टो का नाम ज़ेहन में आते ही एक बेबाक अफसानानिगार की छवि उभरती है और इस पुस्तक में लिखी सभी लघु-कथाओं को पढ़ते हुए शब्द मसीहा जी को पाठक, मन्टो के सांचे में ढलते हुए महसूस करते हैं। इसको कहने में मुझे कोई अतिश्योक्ति नहीं लगती कि शब्द मसीहा जी ने मन्टो की विचार-धारा को आगे बढ़ाने का काम इस पुस्तक के माध्यम से किया है।
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इस लघु-कथा संग्रह में कुल 104 कथाएं हैं जो बिना रुके आपके चेहरे पर भिन्न-भिन्न भाव-भंगिमा उकेरने में सक्षम है और सभी कथाओं को पढ़ने के बाद भी कथाओं के पात्र बार-बार आपको फिर से इस पुस्तक को पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं।
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16 शब्दों की कथा अगर आपके ज़ेहन में सदा घूमती रहे तो ये कमाल करने का माद्दा शब्द मसीहां जी की लेखनी में है। इनकी कथा “सच” को पढ़ कर इस कमाल को महसूस कर सकते हैं।
नई पीढ़ी को अपनी लेखनी से मन्टो को परिचय कराने के लिए शब्द मसीहा जी को साधुवाद है।
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मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'