Thursday, October 30, 2014
Saturday, October 4, 2014
गुरु वंदना
गुरु वंदना
उनकी नज़रें इनायत की, जरूरत है मुझे
बिगड़ा हुआ हूँ, सुधरने की, जरुरत है मुझे।
उनकी
सोहबत का असर, कुछ हुआ इस कदर
नेक राह पर चलूँ ये, ख्याल आया है मुझे।
देने
को बहुत कुछ था, दिया
भी बहुत कुछ
झोली ही अपनी तंग थी, अब समझ आया है मुझे।
नूर
था उनके चेहरे पर,
की नज़र हटती
थी नहीं
बंदगी का ख्याल कभी, आया नहीं मुझे।
प्यार
इतना दिया मुझको,
जिसके लायक
न था मैं
मैं अधम था फिर भी गले से, लगाया था मुझे।
जीवन
के हरेक मोड़ पर, उनका
सहारा मिल गया
कठिन से कठिन हाल से, उबारा है मुझे।
उनके
रहमों करम को, कौन
जानता नहीं
उनके रहमों करम से, सबकुछ मिला है मुझे।
आज
वो नहीं हैं ये, मैं
मानता ही नहीं
आज भी वो ही रास्ता, दिखाते हैं मुझे।
अगर
वो न होते तो, मुझे
जानता ही कौन
उनके ही बदौलत, आप सब जानते है मुझे।
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव
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