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राम-धुन
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
विषय-वासना के जंजाल से
ये मन पार पा जाए।
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
मोह-माया और अज्ञान से
निजात मिल जाए।
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
भटका हुआ राही हूँ मैं
ज्ञान का मार्ग मिल जाए।
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
भव सागर में फँसी नैया
अब पार लग जाए।
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
मेरे दिल में तुम आकर बसो,
कि तेरी याद न जाए।
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
ऐसा प्यार दिया तुमने मुझको,
कि सब में करतार नज़र आए।
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
प्रभु सब का ह्रदय निर्मल कर दो,
सब राम,कृष्ण,करतार हो जायें।
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
आ राम ! आ राम ! आराम मिल जाए।
- © राकेश कुमार श्रीवास्तव