PHOTO & GRAPHICS DESIGN BY R. K. SRIVASTAVA |
दिलरुबा
लो वो आ गई , मेरी दिलरुबा आ गई है।
चाँदनी रात में, चाँद के साथ में,
चाँदनी में नहाई , वो खड़ी सामने,
चाँदनी रात में, चाँद के साथ में,
एक नज़र में उतर गई, दिलों-जान में।
थी परेशानी में, आँसू थे आँखों में,
वो घबराई हुई, खड़ी थी मेरे सामने,
चाँदनी रात में, चाँद के साथ में,
मैं तो खो ही गया था, उसके ख्याल में।
सर्द सी रात में, थी काले लिबास में,
लड़खड़ा कर गिरी, मैं लगा थामने,
चाँदनी रात में, चाँद के साथ में,
वो नजर आई, काले बादलों से घिरे चाँद में।
न थे हम होश में, न थी वो होश में,
हालातों को देख,सब-कुछ लगा जानने,
चाँदनी रात में, चाँद के साथ में,
मैंने उसको समेटा, अपनी बाहों में।
चाँदनी रात में, चाँद के साथ में,
चाँदनी में नहाई , वो खड़ी सामने,
चाँदनी रात में, चाँद के साथ में,
इस तरह मेरे दिल को, दिलरुबा मिल गई।
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
हैप्पी क्रिश्मस !