(पृष्ठभूमि :- नायक अपनी नायिका को ग्रीष्म ऋतु में याद कर रहा है और विरह की आग में जल रहा है | )
तपिश
तपिश दे रहा है , सूरज अभी भी ,
तू आ जाए तो , चैन आ जाए |
तेरी राह पर मेरी नज़रें हैं ,
पर तू न आए , जिया भी न जाए |
कैसे जिए अब , तेरे बगैर मैं ,
चाँद दिखे, तब भी , चैन आ जाए |
शान -ए -फलक पे , तू मुस्कुराए ,
तू आ जाए तो , चैन आ जाए |
जिए जा रहा हूँ , पर तुम न आए ,चाँद दिखे, तब भी , चैन आ जाए |
सो जाऊ मैं तेरी चांदनी में
तू आ जाए तो , चैन आ जाए |
तपिश दे रहा है , सूरज अभी भी ,
तू आ जाए तो , चैन आ जाए |
तेरी राह पर मेरी नज़रें हैं ,
पर तू न आए , जिया भी न जाए |
कैसे जिए अब , तेरे बगैर मैं ,
चाँद दिखे, तब भी , चैन आ जाए |
शान -ए -फलक पे , तू मुस्कुराए ,
तू आ जाए तो , चैन आ जाए |
जिए जा रहा हूँ , पर तुम न आए ,चाँद दिखे, तब भी , चैन आ जाए |
सो जाऊ मैं तेरी चांदनी में
तू आ जाए तो , चैन आ जाए |
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
(०२/०५/२००७)
(०२/०५/२००७)
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मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'