अब जुबाँ, पर है, सिर्फ, एक नाम तेरा
और मेरे, दिल में, है तस्वीर तेरी,
अब तू, भी, नहीं है, इस, नश्वर जगत में,
पर अक्सर, दिखते हो, नज़रों को मेरी।
खोया, रहता हूँ, मैं, ख्यालों में तेरे,
बरसती है अक्सर, फैज़, मुझ पर तेरी
तेरे बिन, अब तो, मैं, जी ना पाऊँगा,
मेरी धड़कने, हो गई, अब तो तेरी।
मैं तो, अधम था, तभी, मिला साथ तेरा,
तू ना होता, तो, क्या, गत होती मेरी,
इस नाचीज “राही” को, जानते हैं सब
और, कुछ भी नहीं, बस, रहमत है तेरी।
अक्सर, मदद, के लिए, बढ़ा हाथ तेरा,
देखा है करिश्मा , मैंने भी तेरा,
वास्ता, जिसका ना था, कभी भी तुमसे
वो, क्या जानता, क्या, शख्सियत थी तेरी।
हम सब, बैठे हैं, अब ख्यालों में तेरे,
मेरी आँखों, में बस, मूरत है तेरी,
तू ही, महबूब हो, हो, करतार मेरे,
इन नैनों को है, अब चाहत, बस तेरी।
अब जुबाँ, पर है, सिर्फ, एक नाम तेरा
और मेरे, दिल में, है तस्वीर तेरी, -© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"