चित्र इन्टरनेट से साभार
आख़िरी उम्मीद
आज तन्हाइयों में फिर, रात मेरी गुजरेगी।
तुम मिलोगी कभी, इस आस में रात गुजरेगी।
तुम
ने किया था कभी वादा कि हम
मिलेंगे कभी,
उसी वादे पे यकीं करके, ये चाँद-रात गुजरेगी।
उसी वादे पे यकीं करके, ये चाँद-रात गुजरेगी।
तेरे बग़ैर जीने का कभी सोचा ही
नहीं,
तेरी यादों के सहारे,सितारों से सजी ये रात गुजरेगी।
तेरी यादों के सहारे,सितारों से सजी ये रात गुजरेगी।
अब
ख़बर ये मिली, ज़ीनत
बनोगी किसी और की तुम,
कभी सोचा है कि मेरे दिल पे क्या-क्या गुजरेगी।
कभी सोचा है कि मेरे दिल पे क्या-क्या गुजरेगी।
जब बन गई हो नूर किसी के जीवन की,
अब तो ज़िन्दगी मेरी स्याह रातों में यूँ ही गुजरेगी।
आख़िरी उम्मीद है मुझे, मेरे चाँद का दीदार हो जाए,
जब अर्थी मेरी, तेरी गलियों से हो कर गुजरेगी।