तुझे चाहूँ, तुझे प्यार करूँ ,
मेरे हालात, मेरी औकात,
तुझे चाहने की, इज़ाजत नहीं देता.
ऐशो-आराम, नाज़ो-नखरे तेरे,
मेरे हालात, मेरी औकात,
इसे उठाने की, इज़ाजत नहीं देता.
तेरे संग जीने की, तेरे संग मरने की,
मेरे हालात, मेरी औकात,
इस ख्वाहिश की, इज़ाजत नहीं देता.
तेरी आँखों में, मेरे लिए प्यार,
और हर पल मेरे, इंतज़ार को,
नज़र अंदाज़ कर नहीं सकता.
दिल भी मेरा दगाबाज़,
करता मनमानी हर बार,
पहुँचाता तेरे दरबार,
से इनकार कर नहीं सकता.
तुम्हारा साथ, तुम्हारा प्यार,
मुझे जीने का हौसला देता,
मेरे हालात, मेरी औकात,
तुझे चाहने की, इज़ाजत नहीं देता.
तू जानती है मुझे और,
मेरे हालात, मेरी औकात को,
फिर भी मुझे चाहने की जिद्द को,
मैं जलील कर नहीं सकता.
अब आ गई हो , मेरे गरीबखाने में,
पा लिया है, मैंने दोनों जहाँ,
तुम्हारा साथ, तुम्हारा प्यार,
कामयाब जिन्दगी जीने का, हौसला देता.
अब तुझे चाहूँ, तुझे प्यार करूँ,
मेरे हालात, मेरी औकात,
तुझे मल्लिका बनाने से, इनकार नहीं करता.
---------राकेश कुमार श्रीवास्तव