मेम्बर बने :-

Monday, January 6, 2020

साच पास - एक खतरनाक सड़क की यात्रा (भाग - 1)


Top post on IndiBlogger, the biggest community of Indian Bloggers

साच पास यात्रा - चमेरा लेक एवं भलेई मंदिर  (भाग - 1) 

जब से मैंने साच पास की तस्वीरों को एक समाचार पत्र में देखा, तो उस अनुपम छटा को देखने की तमन्ना जाग उठी। बर्फ की दीवारों के बिच खड़ी कार एवं मोटर साईकिल की तस्वीरें मानों कह रही हों कि आओ तुम भी इस रोमांचकारी यात्रा का आनंद लो। इसी क्रम में यू-टूब और इंटरनेट के माध्यम से इस स्थल की जानकारी जुटानी शुरू कर दी. सभी प्रकार की जानकारी  प्राप्त करने के बाद , वहां जाने की इच्छा बलवती हो गई।
          साच दर्रा हिमालय के पीर पंजाल पर्वतमाला पर चंबा जिला, हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित समुद्र तल से ऊपर 4.420 मीटर (1,4500 फीट) की ऊँचाई पर स्थित एक ऊँचा पर्वत दर्रा है। यह दर्रा जून के अंत या जुलाई की प्रथम सप्ताह  से अक्टूबर के मध्य तक खुलता है और सितम्बर महीना वहाँ पर जाने के लिए सबसे अच्छा है, तो इसी आधार पर मैंने "एक पंथ दो काज" वाला मुहावरा को चरितार्थ करने हेतु 4 सितम्बर'2018  को अपनी पत्नी की जन्मदिन पर साच  पास घूमने का कार्यक्रम बनाया।  इसी दौरान, मेरे एक दोस्त श्री विनोद जी से पता चला कि साच-पास जाने के रास्ते में दो दर्शनीय स्थल भी है। तब मेरे एक मित्र श्री संजीव परमार जी ने बताया कि उनके मित्र श्री अशोक बकाड़िया जी का होटल लेक व्यू है, जहाँ से चमेरा लेक बहुत खूबसूरत दिखता है और उन्हीं का एक एप्पल माउंटेन विला होमस्टे(बघई गढ़) भी है। मैंने अपनी निजी वाहन के साथ आस-पास के दर्शनीय स्थल के लिए तीन  दिवसीय यात्रा की एक रुपरेखा तैयार की जो निम्न प्रकार से थी  : 

03-09-2018  सुबह 5 बजे निवास स्थान से प्रस्थान, चमेरा डैम में बोटिंग, होटल लेक व्यू में लंच, भलेई माता
                    मंदिर दर्शन एवं एप्पल माउंटेन विला होमस्टे (बघाई गढ़) में रात्रि भोजन एवं विश्राम। 

04-09-2018 सुबह नाश्ता करके साच-पास भ्रमण एवं वापस एप्पल माउंटेन विला होमस्टे में बर्थ-डे पार्टी।

05-09-2016 सुबह  एप्पल माउंटेन विला होमस्टे में नाश्ता कर घर वापसी।


निर्धारित समयानुसार हमलोगों ने सुबह 5 बजे अपनी यात्रा शुरू की। सुबह का सुहाना मौसम, हलकी बारिश के कारण साफ़-सुथरी काली सड़क और कार के म्यूजिक सिस्टम पर बज रहे मधुर गाने, यात्रा को आनंददायक और मनोहारी बना रहे थे। दसुआ और मुकेरियां के बाद पठानकोट बाईपास से बाएं, जैसे ही बनिखेत की तरफ बढ़े, मैदानी सीधी और सपाट काली सड़क, काली सर्पीली सड़क में तब्दील हो गई और मैदान, पहाड़ों में। इस मार्ग से बाबा भोले शंकर के भक्तजन मणि-महेश की यात्रा करते है, इसलिए बनिखेत तक भक्तजनों की सेवा में श्रद्धालू जगह-जगह पर लंगर लगाए हुए थे। हमलोग करीब सुबह 7 बजे हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र में प्रवेश किए और इतनी सुबह पहाड़ में आम-जन की दिनचर्या अभी शुरू हो रही थी। इक्का-दुक्का दुकानों में अभी कोयले की अंगीठियाँ जलने के प्रारंभिक चरण में था, इसलिए उसमें से सफ़ेद धुंआ निकल रहा था। चाय और नास्ते की तलब छोटे-बड़े सभी को हो रही थी, तभी एक लंगर दिखा। जैसे ही हमलोगों की गाड़ी लंगर के पास पहुँची, वैसे ही हमलोगों की गाड़ी के सामने, लाल-झंडा लिए दो व्यक्ति अवतरित हुए और चाय-बिस्कुट खाने के लिए विनम्र निवेदन करने लगे। हमलोग मणि-महेश नहीं जा रहे थे, अतः यहाँ रुकने में संकोच हो रहा था, परन्तु चाय की तलब और दो श्रद्धालुओं की विनम्र प्रार्थना को ठुकराना अच्छा नहीं लगा और हमलोगों ने वहाँ उतर कर चाय-बिस्कुट के साथ मीठा हलवा खाया और चलते वक्त उन्होंने खट्टी-मिठ्ठी टॉफी की गोलियां सभी को din जो पहाड़ों के घुमावदार एवं चढ़ाइयों में आने वाली परेशानियों को कम करती हैं। हमलोगों ने कुछ चढ़ावा चढ़ा कर अपने गंतव्य की ओर बढ़ गए। बनिखेत से कुछ देर पहले एक और लंगर दिखा। सुबह के 9:30 का समय था। गरमा-गर्म पुरियां और जलेबियाँ बन रहीं थीं। हमलोगों ने वहाँ नाश्ता किया और चमेरा लेक की तरफ बढ़ लिए, तभी होटल व्यू लेक के मालिक श्री अशोक बकाड़िया जी का फ़ोन आया और निवेदन किया कि पहले मुलाक़ात करें, फिर आगे बढ़ें। बनिखेत से हमलोग ढलान वाली सड़क पर आ चुके थे, परन्तु उनके प्यार भरे अनुरोध को ठुकरा न सके और वापस आकर उनसे मुलाक़ात की और उनको आश्वासन दिया कि आज का लंच इसी होटल में करेंगे। गरमा-गर्म कॉफ़ी का आनंद लेकर हमलोग चमेरा लेक के लिए निकल पड़े। चमेरा लेक के बोट हाउस तक पहुँचने तक एक पल के लिए भी लेक का दृश्य आँखों से ओझल नहीं हुआ ऐसा लग रहा था कि लेक अलग-अलग एंगल से अपनी मनोहारी तस्वीर दिखाना चाह रही हैं। सर्पीले रास्तों से होते हुए, चमेरा डैम के ऊपर से चल कर कार से बोटिंग पॉइंट तक पहुँचे। शांत झील में बोटिंग कर हमलोग वापस लंच टाइम पर होटल लेक व्यू पहुँच गए।  होटल के डाइनिंग हॉल से चमेरा लेक के अद्भुत  प्राकृतिक सौन्दर्य और गर्मा-गर्म मनपसंद खाने के साथ अशोक जी की मेजबानी न भूलने वाला पलों को सदा के लिए दिल में बसा कर, फिर से चमेरा लेक होते हुए, भलेई मंदिर घूमने के लिए निकल पड़े। हिमाचल में यह मंदिर शक्तिपीठ माँ दुर्गा के नाम से मशहूर है। मंदिर तक जाने के लिए कुछ दूरी सीढियों द्वारा तय की जाती है। माता का गर्भ-गृह मंदिर के पहले तल पर स्थित है। हमलोगों के कार्यक्रम में इस मंदिर के दर्शन के अलावा कोई अन्य काम नहीं था, अतः हमलोगों ने देवी का दर्शन कर आस-पास के प्राकृतिक नजारों का लुत्फ़ लिया। यहाँ से भी चमेरा लेक का विहंगम दृश्य दिखाई देता है
     एप्पल माउंटेन विला होमस्टे (बघाई गढ़)  की दूरी भलेई मंदिर से 54 कि.मी. है और इस दूरी को तय करने में लगभग दो घंटा लगना था। अतः हमलोग दोपहर को 3 :30  बजे मंदिर से अगले गंतव्य स्थान के लिए प्रस्थान किए। पहाड़ों पर मोबाईल नेटवर्किंग की समस्या रहती है मोबाईल पर केयर टेकर की आवाज ठीक से सुनाई नहीं देने के कारण हमलोग तिस्सा पहुँच गए। जब सिग्नल मिला तब केयर टेकर से पता चला की हमलोग गंतव्य स्थान से 26 कि.मी. आगे चले आए हैं। हमलोग फिर वापस लौटे और करीब रात को 7:30  बजे  गंतव्य स्थान पर पहुँचे। वहाँ सड़क के किनारे केयर-टेकर हमलोगों का इंतज़ार कर रहा था। हमलोगों ने कार से उतर कर उससे बात की, तो पता चला कि होमस्टे पहुँचने के लिए आधा किलोमीटर पैदल चढ़ाई करनी है। इतना सुनने पर मेरे श्रीमती जी की साँसें फूलने लगी और कोई चारा न होने पर हमलोग धीरे-धीरे पहाड़ो की पगडंडियों पर चलने लगे। होमस्टे पहुँचने तक सभी की साँसें फूलने लगीं। सेब के बगीचे के बीच बसा यह होमस्टे हमलोगों को किसी प्रकार से रास नहीं आया। खाने के लिए भी कोई ख़ास व्यवस्था नहीं थी। मिनिरल वाटर की बोतल तक उपलब्ध नहीं था। ट्राइबल फ़ूड के नाम पर जो खाना परोसा गया, वह किसी प्रकार से खाने लायक नहीं था। खैर! किसी तरह हमलोगों ने वहाँ रात गुजारी। शेष अगले भाग में .........
इस यात्रा के दौरान ली गई कुछ तस्वीरों का आनंद लें :- 


















  ©  राकेश कुमार श्रीवास्तव 'राही'

8 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 06 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. सुन्दर वर्णन और चित्र

    ReplyDelete
  3. शुक्रिया ओंकार जी, आभार .

    ReplyDelete
  4. The article is very easy to understand, detailed and meticulous! Also visit Inspirational Struggle Story in Hindi!

    ReplyDelete
  5. Family Tree MakerDiscover Your Family Story With Family Tree Maker! The available version with the FTM users is FTM 2019 functioning for both Mac and Windows. Family tree maker 2019 DownloadThe release year of FTM Software is 1989 and it’s been almost more than thirty years since then. Today, FTM stands as the World’s Favourite Genealogy Software. FTM is making it much easier than ever before to discover your family history, preserve your legacy, and share your unique heritage.Family tree maker 2019

    ReplyDelete

मेरे पोस्ट के प्रति आपकी राय मेरे लिए अनमोल है, टिप्पणी अवश्य करें!- आपका राकेश श्रीवास्तव 'राही'